पटना। पीएम नरेंद्र मोदी की मजबूत नेता की छवि ने पूरे देश में उनको सर्वामान्य नेता के रूप में पेश किया। नोटबंदी, जीएसटी और आतंकवाद के खिलाफ उनके कड़े फैसले से देश में उनकी छवि एक मजबूत नेता की बनी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी नीत एनडीए ने प्रंचड बहुमत हासिल की है। बिहार में सुशील मोदी की भाजपा, नीतीश कुमार की जेडीयू राम विलास पासवान की लोजपा समेत एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने वाली लालू प्रसाद यादव की आरजेडी का खाता तक भी नहीं खुल सका है।
बिहार में तेजस्वी यादव के राजद की हालत कुछ ऐसी है जैसी साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी के अंदर मायावती की बसपा की थी। दरअसल साल 2014 लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में राष्ट्र जनता दल को एक भी सीट नहीं मिल सकी है।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती को भी हार का सामना करना पड़ा है। वहीं इस चुनाव हॉट चर्चा में बनी रही बेगूसराय लोकसभा सीट से राजद के तनवीर हसन को करारी हार मिली है. यहां से सीपीआई के कन्हैया को पछाड़ते हुए भाजपा के गिरिराज सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की है। बिहार में एनडीए के कई बड़े नेताओं ने एक लाख से अधिक वोटों के साथ जीत दर्ज की है. ।
छपरा से महागठबंधन से लड़े रहे तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को भी हार मिली है। वहीं एनडीए से यूपीए में शामिल हुए बिहार महागठबंधन के नेता और आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी सीट से चुनाव हार गए हैं। हालांकि कुशवाहा ने हार को स्वीकार करते हुए कहा है कि वे जनता जनार्दन का फैसला सिर-आखों पर रखते हैं, उन्होंने आगे कहा कि इस समय महागठबंधन को आत्मचिंतन करना होगा, साथ ही स्वीकार करना होगा कि हम जनता की नब्ज पहचान करने में सफल नहीं हो सके हैं।
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