टू-फिंगर टेस्ट : ‘रेप’ के बाद यूं होता दूसरा ‘रेप’
कराची। 2007 में उसके पड़ोसी ने किडनैप किया। तीन दिन बाद जारा इसी पड़ोसी के घर में पाई गई जो अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। जारा का परिवार उसे लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा। रेप हुआ है यह साबित करने के लिए अगले दिन एक महिला डॉक्टर जारा का टेस्ट करने आईं। इस डॉक्टर ने जारा के प्राइवेट पार्ट में दो उंगलियां डालीं और कह दिया कि वह वर्जिन नहीं है। अपने साथ हुए ‘इस रेप’ से जारा अभी संभल नहीं सकी थी कि उसके परिवार ने उसे ही दोष देना शुरू कर दिया। यह कहानी जारा की जरूर है लेकिन यह दर्द पाकिस्तान की उन तमाम लड़कियों का है जिन्हें रेप के बाद ‘टू फिंगर टेस्ट’ से गुजरना पड़ता है।
इस वर्जिनिटी टेस्ट को भारत और बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देशों में बैन कर दिया गया है लेकिन पाकिस्तान में यह अभी भी जारी है। इसमें महिला के प्राइवेट पार्ट के साइज और इलास्टिसिटी का अंदाजा लगाया जाता है। इसके आधार पर डॉक्टर रेप पीड़िता की सेक्शुअल हिस्ट्री का पता लगाता है। अगर महिला अविवाहित है लेकिन सेक्शुअली ऐक्टिव है तो इसे नैतिक रूप से गलत माना जाता है। जैसा जारा के साथ हुआ, पीड़िता के दर्द को भूलकर सब उसके कैरेक्टर पर सवाल उठाने लगते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक यह टेस्ट अपने-आप में अनैतिक है। रेप के केस में हाइमन की जांच का ही औचित्य नहीं होना चाहिए। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन तो है ही, इस टेस्ट की वजह से न सिर्फ पीड़िता को शारीरिक बल्कि मानसिक यातना का सामना भी करना पड़ता है। एक तरह से यह उसके साथ पूरा जुल्म दोहराने के जैसा है। इसका सदमा कितना गहरा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। पाकिस्तान की एनजीओ वॉर अगेंस्ट रेप (WAR) के प्रोग्राम ऑफिसर शेराज अहमद का कहना है कि सिस्टम को यह पता ही नहीं है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से कैसे बर्ताव करना है।
इसके लिए इन अधिकारियों को ट्रेनिंग नहीं दी जाती है और न ही पीड़ितों से कैसा व्यवहार करना है, इसके लिए सेन्सिटाइज किया जाता है। ये लोग पीड़िता से पहले न ही इजाजत लेते हैं और न प्रक्रिया समझाते हैं। आसिया हर दिन करीब 18 पीड़िताओं की मदद करती हैं। वह बताती हैं, ‘इस टेस्ट के दौरान ज्यादातर लड़कियों की चीख निकल जाती है। यह उनके साथ हुआ शर्मनाक कृत्य के अनुभव को वापस दोहराता है।’
इस टेस्ट की वजह से न सिर्फ महिलाओं को लेकर रुढ़िवादी रवैया बरकरार रहता है बल्कि बाल यौन शोषण और मैरिटल रेप जैसी समस्यों पर पर्दा भी पड़ता है। इनकी वजह से कई परिवार न्याय की उम्मीद भी छोड़ देते हैं। पुलिस से लेकर अस्पताल के स्टाफ तक, सबका रवैया ऐसा होता है कि पीड़ित के लिए यह अपने आप में बुरे सपने की तरह होता है। दुनियाभर में इस टेस्ट का इस्तेमाल लड़कियों के पैरंट्स से लेकर भावी पार्टनर, यहां तक इम्प्लॉयर तक करते हैं।