MODI सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक लगाई रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसे केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है । इसके साथ ही कोर्ट ने समस्या के समाधान के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया है। सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत का हल ना निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया। अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।
इससे पहले कोर्ट ने समिति के पास न जाने की बात पर किसानों को फटकार लगाई है और कहा कि हम समस्या का हल चाहते हैं, मगर आप अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट कृषि कानूनों को लेकर आज यानी मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है।
संभव है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार और किसानों के बीच जारी इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से देश के किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन से संबंधित मुद्दों पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है।
इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी संकेत दिया था कि वह किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर सकता है जिसमें देश की सभी किसान यूनियनों के प्र्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है। न्यायालय ने इस गतिरोध का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये केन्द्र सरकार को और समय देने से इंकार करते हुये कहा था कि पहले ही उसे काफी वक्त दिया जा चुका है।
पीठ ने कहा, अटॉर्नी जनरल! हम पहले ही आपको काफी समय दे चुके हैं। कृपया, संयम के बारे में हमें भाषण मत दीजिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन के संबंध में वह हिस्सों में आदेश पारित करेगी। पीठ ने इसके साथ ही पक्षकारों से कहा कि वे शीर्ष अदालत द्वारा गठित की जाने वाली पीठ के अध्यक्ष के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा सहित दो-तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के नामों का सुझाव दें।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने टिप्पणी की कि यह सब क्या हो रहा है। राज्य आपके कानूनों के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं। हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं। हम आपकी बातचीत के बारे में कोई टिप्पणियां नहीं करना चाहते, लेकिन हम इस प्रक्रिया से बहुत निराश हैं। शीर्ष अदालत तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली और दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों को हटाने के लिए याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने कहा कि इस समय वह इन कानूनों को खत्म करने के बारे में बात नहीं कर रही है। यह बहुत ही संवेदनशील स्थति है। हमारे सामने एक भी ऐसी याचिका नहीं है, जो इन कानूनों को लाभकारी बता रही हो।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी कि किसी भी कानून पर उस समय तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक न्यायालय यह नहीं महसूस करे कि इससे मौलिक अधिकारों या संविधान की योजना का हनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह से कानून स्थगित कराना एक चलन बन जाएगा। इस मामले की अब आज सुनवाई होगी या फिर आदेश भी आ सकता है।