गणतंत्र दिवस पर उपद्रव के बाद दो किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने का किया एलान
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन से अब दो किसान संगठनों ने अपना नाम वापस ले लिया है। गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव के बाद अब आन्दोलन से खुद को अलग करने वालों में पहला नाम किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह का है, और दूसरा भारतीय किसान यूनियन का भानु गुट का। वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकैत अलग रास्ते से जाना चाहते थे।
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आन्दोलन से अपना नाम वापस लेते हुए कहा कि जिन लोगों ने भड़काया उन पर सख्त कार्रवाई हो। वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकैत अलग रास्ते से जाना चाहते थे। आन्दोलन से अपना नाम वापस लेते हुए कहा कि जिन लोगों ने भड़काया उन पर सख्त कार्रवाई हो।
#Breaking | Farmer leader @SardarVm quits Kisan Andolan; blames Rakesh Tikait for the ruckus at Ghazipur border. pic.twitter.com/wrGJ5ufgrO
— TIMES NOW (@TimesNow) January 27, 2021
वीएम सिंह ने साफ किया कि आंदोलन खत्म करने का फैसला राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का है न की ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) का। वीएम सिंह ने कहा, “हिंदुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं।
आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।” वीएम सिंह ने कहा कि किसान यूनियन के राकेश टिकैत केंद्र के साथ मीटिंग करने गए थे, उन्होंने बैठक में गन्ना किसानों के मुद्दों पर बात क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि टिकैत ने क्या बात की पता नहीं और जब हम सिर्फ उन्हें सपोर्ट देते रहे तो वहाँ कोई नेता बनता रहा।
#FarmerProtests | वीएम सिंह और भानु प्रताप सिंह ने अपना आंदोलन खत्म करने का एलान किया, हिंसा की घटना से हैं आहतhttps://t.co/3M2jsmUnNg
— ABP News (@ABPNews) January 27, 2021
दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन का भानु गुट भी किसान आंदोलन से अलग हो गया है। संगठन के मुखिया भानु प्रताप सिंह ने कहा कि जो आरोपित हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो। उन्होंने चिल्ला बॉर्डर से धरना खत्म करने का एलान किया है।
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भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे वो बेहद आहत हैं और 58 दिनों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 63 दिनों से जारी है।
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार वैसे भी डेढ़ साल तक के लिए कानून लागू नहीं करने वाली और माननीय प्रधानमंत्री उन्हें बातचीत का मौका देंगे लेकिन फिलहाल वो अपना नाम आन्दोलन से वापस ले रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों ने माहौल गंदा कर दिया है।