13 वीं अखिल भारतीय चीन अध्ययन सम्मेलन (All India Conference of China Studies) में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को चीन के साथ सीमा गतिरोध पर टीप्पणी करते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले साल हुई घटनाओं ने भारत-चीन के संबंधो को गंभीररूप से प्रभावित किया है.
उन्होंने आठ महीने पहले लद्दाख में हुई घटनाओं को याद करते हुए कहा कि चीन ने इस घटना से न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी दर्शायी है. उन्होंने कहा कि अब भी हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है. मानव इतिहास में यह अद्वितीय घटना है.
2020 में हुए घटना से भारत और चीन के संबंध खऱाब
उन्होंने कहा कि साल 2020 में हुए घटना से भारत और चीन के संबंध खऱाब हुए हैं और दोनों देशों के संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे सम्मान, संवेदनशीलता, आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत-चीन के संबंध का असर केवल दो राष्ट्रों पर ही नहीं, बल्कि दुनिया पर भी पड़ेगा.
साल 2020 कोरोना माहामारी के अलावा भारत-चीन सीमा विवाद और गलवान घाटी के लिए भी याद रखा जाएगा. आठ महीने पहले चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने लद्दाख से लगी पूर्वी सीमा पर फिंगर फोर एरिया में पेगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर घुसपैठ की कोशिश की. चीन का इरादा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगने वाले सीमा पर यथास्थिति बदलने का था. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत को लेकर चीन का रवैया बदलने वाला नहीं है. लद्दाख में हुआ विवाद तो सिर्फ एक शुरुआत था, माना जा रहा है कि एशिया के दो सबसे बड़े मुल्कों के बीच आने वाले वक्त में रिश्ते और भी बिगड़ सकते हैं.