लवलेश कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ- पत्रकार शब्द सुनते ही एक विचार आता है कि ये एक ऐसा शब्द है जो कि स्वतंत्र होकर बिना किसी भेदभाव किये अपनी कलम से सच्चाई लिखना चालू कर देता है। पर जब यही पत्रकार अगर पीड़ितों को न्याय न दिलाकर पीड़ितों को दूसरों से पैसे लेकर परेशान करने लगे तो क्या इसे पत्रकार या पत्रकारिता कहेंगे नही ना इनको सही मायने में रंगदारी मांगने वाला कहेंगे।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजधानी लखनऊ में कुछ बेब पोर्टल व निजी समाचारों के पत्रकार को दरिंदगी का हद तो तब हो जाती है वो अधिकारियों को तुरन्त निरस्त कराने का आदेश भी जारी कराने का भी दूसरों से रौब दिखा देते है। और अपनी दुकान चला रहे है। और इनकी पुलिस से भी अच्छी पकड़ है। प्राप्त समाचार के अनुसार राजधानी के थाना ठाकुरगंज स्थित वार्ड बालागंज पर पीड़ित खसरा न० 257बपर अपना सकुशल कार्य कर रहा था। कार्य पूरे दिन सकुशल चल रहा था।
तभी एक पत्रकार पीड़ित को निजी समाचार का पत्रकार वता कर रंगदारी मांगने लगा जब पीड़ित ने यह बताया कि यह उसकी पैतृक सम्पत्ति है । तभी ये संदिग्ध पत्रकार वहां आते है। और रंगदारी के लिए कहते है। जब मैंने मना किया तो मुझे गालियां देने लगे और तुरंत पुलिस बुलाकर मेरा निर्माण रुकवा दिया। पुलिस हम लोग को थाने ले गयी इसके बाद इन संदिग्ध पत्रकारों ने मेरा गेट व दीवार गिरा दी व मेरे समान की भी चोरी कर ली पीड़ित ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से ऐसे संदिग्ध पत्रकारों व जो इनसे मिले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।