रांची। किस्म के पक्षियों से उन्हीं की ‘भाषा’ में बात करने का हुनर रखने वाले पन्नालाल को लोग बर्डमैन पुकारते हैं। वह पेशे से किसान हैं लेकिन अपनी सीमित आय से ही पक्षी संरक्षण के उपाय व पक्षियों के उपचार पर राशि व्यय करते हैं। पक्षियों के लिए दाना, दवाओं के साथ-साथ जंगल-जंगल घूमना भी वे अपने खर्च पर ही करते हैं। नजर भी रखते हैं कि कोई पक्षियों को नुकसान न पहुंचाए। पक्षियों के लिए ये उनके हीरो की तरह हैं तभी इनकी आवाज सुनते ही पक्षी भी इनके पास आ जाते हैं। पन्नालाल पिछले 27 सालों से पक्षी संरक्षण पर काम कर रहे हैं।
40 किस्म के पक्षियों से बनाया रिश्ता
रांची के अनगड़ा स्थित सिकिदिरी घाटी जंगल, हुंडरू, गिधिनिया, चुटूपालू के अलावा रामगढ़ के रजरप्पा, कुजू व बनादाग जंगल में पक्षियों पर शोध भी कर रहे हैं। झारखंड में पाए जाने वाले करीब 40 किस्म के पक्षियों से उन्होंने एक अलग रिश्ता बना लिया है। वे उनसे उन्हीं की तरह बतियाते हैं। उनके बुलाने पर पक्षी उनके पास चले आते हैं। उनके हाथ पर बैठ जाते हैं। वे आंखें बंद करके भी पक्षी की आवाज से उसकी प्रजाति बता देते हैं। बचपन से ही पक्षियों के साथ रहने वाले पन्नालाल यह तक जान लेते हैं कि किस पक्षी का मूड क्या है, वह कहना क्या चाहता है।
सिर से पांव तक रहती है हरी ड्रेस..
पन्नालाल रामगढ़ जिले के सरइयां कुंदरू गांव के रहने वाले हैं। वे हमेशा हरे रंग की ड्रेस पहनते हैं। उनका जूता व टोपी भी हरे रंग की होती है। ऐसा इसलिए ताकि जरूरत पड़ने पर जंगलों में घंटों एक ही जगह पर रहा जा सके।
बच्चों को बताते हैं विलुप्त प्रजाति के बारे में
पन्नालाल स्कूलों व कॉलेजों के बच्चों को उन पक्षियों की आवाज निकाल कर सुनाते हैं, जो विलुप्त हो चुके हैं। वे बच्चों के साथ दलमा जंगल, रांची जिले के जंगल, बोकारो व रामगढ़ के कुजू के जंगलों में जाते हैं, उन्हें विभिन्न पक्षियों की आवाजें सुनाते हैं, पक्षियों को पुकारतें हैं और उनकी बातें बच्चों को बताते हैं।
Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह [email protected] पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।