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अब भी भगवान राम के वंशज सुनने को मिलते हैं लेकिन किसी ने अब तक देखा नहीं है। कहा जाता है कि भारत को 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी मिलते ही राजशाही को ख़त्म कर दिया गया था। मगर उसके बाद भी कई परिवार अभी भी उसी शानो-शौकत के साथ अपनी जीवन व्यतित कर रहें हैं।
कब से चला आ रहा है ये राजपरिवार
– एक इंटरव्यू में पद्मिनी ने बताया था कि उनका परिवार राम के बेटे कुश के परिवार के वंशज हैं।
– उनके पति और जयपुर के पूर्व महाराज भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।
– 21 अगस्त, 1912 को जन्मे महाराजा मानसिंह ने तीन शादियां की थी। पहली शादी 1924 में 12 साल की उम्र में जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह की बहन मरुधर कंवर से हुई थी।
– मानसिंह की दूसरी शादी उनकी पहली पत्नी की भतीजी किशोर कंवर से 1932 में हुई। इसके बाद 1940 में उन्होंने गायत्री देवी से तीसरी शादी की।
– महाराजा सवाई मानसिंह और उनकी पहली पत्नी मरुधर कंवर के बेटे भवानी सिंह की शादी पद्मिनी देवी से हुई थी। उनकी इकलौती बेटी हैं दीया कुमारी।
– दीया कुमारी की शादी नरेंद्र सिंह से हुई। उनके दो बेटे पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज सिंह हैं। बेटी हैं गौरवी। दीया वर्तमान में सवाई माधोपुर से बीजेपी विधायक हैं।
– पद्मनाभ सिंह ने 12 साल की उम्र में जयपुर रियासत संभाली तो दूसरे बेटे लक्ष्यराज सिंह ने महज 9 साल में यह जिम्मेदारी संभाली।
– महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह का कोई बेटा नहीं था। उन्होंने 2002 में अपनी बेटी दीया कुमारी के बेटों को गोद लिया था। भवानी सिंह के निधन के बाद 2011 में उनके वारिस के तौर पर पद्मनाभ सिंह का राजतिलक हुआ था और छोटे बेटे लक्ष्यराज 2013 में गद्दी पर बैठे।
– हालांकि, देश में रजवाड़ों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, पर
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अभी भी राजघरानों में राजतिलक की रस्म कर राज्य का वारिसाना हक दिया जाता है।
ऐसी है लाइफस्टाइल
– महारानी पद्मिनी देवी अक्सर शहर में होने वाले छोटे-बड़े कार्यक्रमों में चीफ गेस्ट बनकर पहुंचती हैं।
– वहीं, उनकी बेटी दीया कुमारी सवाई माधोपुर से एमएलए हैं। वे अक्सर राजस्थान में होने वाले कई इवेंट्स में दिखती हैं।
– इसके साथ दीया कुमारी के बेटे और जयपुर के राजा पद्मनाभ सिंह इंडिया की पोलो टीम के प्लेयर हैं।
– ये परिवार जयपुर में होने वाली रॉयल पार्टियों में अक्सर देखा जाता है।
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