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जनपद पंचायत कसडोल का फर्जीवाड़ा आया सामने, सूचना के अधिकार के तहत हुआ खुलासा

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रेशम वर्मा कि रिपोर्ट 

कसडोल

जनपद पंचायत कसडोल का फर्जीवाड़ा आया सामने, सूचना के अधिकार के तहत हुआ खुलासा बलौदाबाजार-भाटापारा जिला के अंतर्गत जनपद पंचायत कसडोल से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।मामले की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जानकारी से खुलासा हुआ है।उक्त जानकारी स्थानीय पत्रकार पुरुषोत्तम कैवर्त्य द्वारा मांगी गई थी।जिससे जानबूझकर जनपद पंचायत कसडोल के जनसूचना अधिकारी द्वारा अधूरी जानकारी दी गई है।वह यह है कि आवेदक द्वारा उक्त गौड़ खनिज मद का नस्तिफाइल मांगा गया था। इस पर जनसूचना अधिकारी के लेखापाल श्री टी आर साहू द्वारा जनपद पंचायत द्वारा किए गए प्रस्ताव एवं उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त जानकारी को छोड़कर अन्य सभी जानकारी दी गई,जबकि दस्तावेज में प्रस्ताव होने का दिनांक उपस्थित सदस्यों के नाम का हवाला दिया गया था।इस संबंध में आवेदक द्वारा पूछा गया कि इसमें प्रस्ताव का हवाला दिया गया है किंतु प्रस्ताव की उक्त कापी नही दी गई है। तब पहले तो कहा गया कि प्रस्ताव का कापी दिया गया है ।जब आवेदक द्वारा दिखाया गया तब कहा गया कि आपके द्वारा केवल नस्ती फाइल मांगी गई है इसलिए प्रस्ताव की कापी नही दी गई। तब आवेदक पुरुषोत्तम कैवर्त्य द्वारा कहा गया कि नस्ती फाइल का प्रथम कड़ी प्रस्ताव होता है जो कि आपके द्वारा नही दिया गया। मुझे उसी की आवश्यकता है आप कहे तो मैं प्रस्ताव की कापी के लिए पुनः आवेदन करूँ।इस पर टी आर साहू ने कहा आवेदन की आवश्यकता नहीं है, आपको प्रस्ताव की कापी मिल जाएगा, किन्तु फिर भी एक माह तक गुमराह करते रहे। इस संबंध में उक्त लेखपाल द्वारा जनसूचना अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भी गुमराह किया गया।अंत में जनसूचना अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रवीण भारती द्वारा कहा गया कि आप पुनः आवेदन करें तब आपको चाही गई कापी दे दी जावेगी। इस पर आवेदक द्वारा बार-बार समझाने की कोशिश की गई किन्तु उसके बावजूद जरूरी दस्तावेज को छिपाकर एक माह तक गुमराह करने की कोशिश की गई।इससे आहत होकर आवेदक को दुबारा आवेदन लगाने मजबूर होना पड़ा।इस तरह जनसूचना अधिकारी के लेखापाल द्वारा जानबूझकर आवेदक को घुमाने का भरपूर प्रयास किया गया।जो कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का खुला उल्लंघन है।जनपद पंचायत कसडोल द्वारा जब एक जागरूक पत्रकार के साथ इस तरह मनमानी किया जाता है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य लोगों के साथ किस तरह का रवैया अपनाया जाता होगा। इसके लिए जनसूचना अधिकारी के उक्त लेखापाल पर अधूरी जानकारी देने के लिए कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।तभी ऐसे लोगों को सबक मिलेगी।

मामला है गौड़ खनिज मद 2016-17 की राशि 1365939.00 का

शासन से वित्तीय वर्ष 2016-17 में उत्खनन क्षेत्र ग्राम पंचायत खपरीडीह के लिए 1315896.00 एवं ग्राम पंचायत कुम्हारी के लिए 50043.00 कुल 1365939.00 स्वीकृत हुआ था, किन्तु जनपद पंचायत की लापरवाही के चलते दो वर्ष तक संबंधित ग्राम पंचायत को राशि आबंटित नही किया गया।दो साल तक राशि यूँ ही पड़ा रहा और अचानक 20/10/2020 को अनुमोदन हेतु जनपद पंचायत कसडोल द्वारा जिला पंचायत बलौदाबाजार को भेजा गया। तब तक त्रिस्तरीय पंचायत का आगामी चुनाव हो चुका था।वह भी बिना प्रस्ताव के जनपद पंचायत कसडोल द्वारा फर्जी तरीके से संशोधित प्रस्ताव क्रमांक 2 दिनांक 16/10/2019 का (पूर्व सदस्यों के कार्यकाल का) हवाला देकर नए कार्यकाल में दिनांक 20/10/2020 को अनुमोदन हेतु जिला पंचायत भेजा गया और जिला पंचायत द्वारा बिना जांच पड़ताल के जबकि प्रस्ताव दिनांक और अनुमोदन हेतु भेजे गए दिनांक से स्पष्ट है कि प्रस्ताव के 01वर्ष 04 दिन बाद अनुमोदन हेतु जिला पंचायत भेजा गया था।जोकि नियमानुसार स्वत:निरस्त है।जिस पर जिला पंचायत द्वारा भी बिना निरीक्षण के आंख मूंदकर अनुमोदन कर दिया गया।जो कि गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता। जबकि उपरोक्त दिखाए गए प्रस्ताव भी फर्जी है ।उक्त तिथि में कोई बैठक हुई ही नही है तो प्रस्ताव कहाँ से होगा ? वह तो पुराने सदस्य जो वर्तमान में चुनकर आये हैं और अपने आप को दबंग सभापति समझने वाले कुछ लोगों के साजिश का हिस्सा है।वर्तमान सदस्यों को कमीशन की राशि का बंटवारा न देना पड़े, यह सोचकर फर्जी तरीके से तैयार किए गए प्रस्ताव का हवाला देकर वर्तमान एवं पूर्व जनपद सदस्यों को बेवकूफ बनाने का साजिश रचा गया था।किंतु कहा गया है “चोर कितना शातिर क्यों न हो कोई न कोई सबूत अवश्य छोड़ता है” यह चरितार्थ हुआ और जिस फर्जी प्रस्ताव का सहारा लिया गया उसके 01 वर्ष 04 दिन बाद अनुमोदन के लिए जिला पंचायत भेजा गया।जबकि पंचायती राज अधिनियम में त्रिस्तरीय पंचायत के लिए अधिनियम में स्पस्ट लिखा गया है कि किसी भी प्रस्ताव पर अमल करने के लिए छ: माह की अवधि तय बताई गई है। उक्त अवधि के भीतर कोई भी कार्रवाई नही करने पर प्रस्ताव स्वत:निरस्त हो जाता है। फिर भी जनपद पंचायत के पूर्व एवं वर्तमान सभापति श्री मेलाराम साहू ने दृढ़ता पूर्वक दो-तीन लोगों की उपस्थिति में आवेदक से कहा और जहाँ तहाँ कहता फिरता है कि हम पुराने लोग तो अभी भी हैं हम लोगों ने प्रस्ताव किया है। जबकि प्रस्ताव के समय उपस्थित दिखाए गए अधिकांश लोगों का कहना है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं हुआ है। कुछ लोगों के पास जाकर हस्ताक्षर जरूर लिया गया है। वे भी काम न रुके इस लिहाज से हस्ताक्षर करना कबूल कर रहे हैं। मेलाराम साहू यह भूल रहा है कि जिस फर्जी प्रस्ताव का उन्हें गुरुर हो रहा है, वह यदि वास्तविक होता तो भी समय सीमा में अमल न होने के कारण स्वत: निरस्त है। उनकी प्रतिक्रिया से ऐसा लग रहा था कि मानो वही इस फर्जीवाड़ा का सूत्रधार हो। चाहते तो वर्तमान के नए सदस्यों से प्रस्ताव कराकर भेज सकते थे। यदि पुराने राशि पड़े हुए थे तो। किन्तु ऐसा न किया जाना भी संदेह और साजिश को जन्म देता है।

यह बात सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जनपद पंचायत में पड़े 2016-17 की राशि का दिनांक 16/10/2019 को प्रस्ताव करने के बाद तुरंत अमल में लाते क्योकि सामने तीन माह बाद चुनाव था । ऐसी स्थिति में रोक कर नही रखते।किन्तु ऐसा नही हुआ और दिनांक 20/10/2020 को अनुमोदन हेतु जिला पंचायत भेजा गया ।इससे भी जाहिर होता है कि उक्त तिथि को पुराने सदस्यों द्वारा कोई प्रस्ताव नही किया गया था।

खास बात तो यह है कि उत्खनन क्षेत्र के जिस ग्राम पंचायत खपरीडीह एवं ग्राम पंचायत कुम्हारी के लिए शासन से राशि जारी की गई थी, उन ग्राम पंचायतों के हक छीनकर उनकी सहमति के बिना जबरदस्ती मनमानी पूर्वक अन्य ग्राम पंचायत कोटियाडीह को जारी कर अपने चहेते को लाभ पहुंचाया गया। जगजाहिर है कि जिस ग्राम पंचायत के लिए राशि जारी हो उन्हीं को दिया जाय यदि संबंधित ग्राम पंचायत को राशि की आवश्यकता न होने पर उनसे लिखित सहमति लेने के बाद अन्य ग्राम पंचायत को राशि जारी किया जाय। इसमे भी शर्त है कि संबंधित ग्राम पंचायत के सात कि मी के दायरे से बाहर उक्त राशि नही दिए जाने का प्रावधान है, इसमे भी साजिश की गई है और जानबूझकर खपरीडीह से कोटियाडीह की दूरी pwd विभाग के sdo द्वारा रिपोर्ट में सात कि मी दिखाया गया है जबकि हकीकत में उक्त गांवो के बीच की दूरी 13 से 14 कि मी है।यह भी जांच का विषय है। क्योंकि यह भी साजिश का ही हिस्सा है।ऐसे रिपोर्ट देने वाले उक्त अधिकारी पर भी कार्रवाई होना चाहिए।

इन सभी बातों से स्पष्ट है कि बिना प्रस्ताव के फर्जी प्रस्ताव दिखाकर एक वर्ष चार
दिन बाद जो कि अवैधानिक है जिला पंचायत से अनुमोदन कराकर उत्खनन क्षेत्र के नाम से आये राशि को मनमानी पूर्वक बिना सहमति के अन्य अपने चहेते सरपंच को लाभ पहुंचाया गया है।इससे भी कमीशन लेकर राशि दिए जाने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह सारा खेल सिर्फ और सिर्फ कमीशन के लिए ही खेल गया है ऐसा प्रतीत होता है। इस प्रकार इस साजिश में लिप्त पुराने सदस्यों जो वर्तमान में भी चुनकर आए हैं के द्वारा सारी साजिश का तानाबाना बुना गया और जानबूझकर गैर कानूनी कारनामा को अंजाम दिया गया है। सूत्र से पता चला कि इस फर्जीवाड़े की जांच की मांग को लेकर वर्तमान जनपद सदस्य सिद्धांत मिश्रा द्वारा बैठक में बात रखी गई थी बताया गया कि उस विषय पर चर्चा भी हुई किन्तु रिकार्ड में दर्ज नहीं किया गया।इससे भी जाहिर होता है कि गौड़ खनिज मद में फर्जीवाड़ा हुआ है।जिसका जिन्न जांच में सामने आएगा।

अतः उच्चाधिकारियों को चाहिए कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए साजिश में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए अवैधानिक रूप से जारी किए गए राशि का साजिश कर्ता से वसूल किए जाने के साथ ही 420 के तहत पृथक कार्रवाई करते हुए पद के दुरुपयोग करने के लिए वर्तमान पद से पदच्युत किया जाना आवश्यक है। ताकि भविष्य के लिए सबक हो ।

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