ज्ञान– भय हमें कभी आगे ही नहीं बढ़ने देता। हमारी हार का सबसे बड़ा कारण हमारा भय है। हम इतने भयभीत रहते हैं कि हम आगे बढ़ने का प्रयास ही नहीं करते हैं। भय के कारण हम अपने जीवन मे कभी भी अपने लिए कुछ नहीं कर पाते। भय हमें इतना असहाय बनाता है कि हम स्वयं के लिए लड़ना ही भूल जाते हैं।
जब हमारे आसपास बैठा व्यक्ति यह कहता है कि यार मुझसे नहीं होगा। मैं हार चुका हूं। मुझे पता है मेरे भाग्य में यही लिखा है। मैं अपने प्रतियोगी के सामने बेहद कमजोर हूं। तो यह वह व्यक्ति नहीं उस व्यक्ति का भय कहता है। क्योंकि वह अपने आस-पास की चीजों से संघर्ष करने की जगह डर जाता है और यह डर उसके उसके आगे बढ़ने के सभी द्वार बंद कर देता है।
उदाहरण के लिए समझें तो कौरव 100 भाई थे। महाभारत युद्ध के समय उनके पास भगवान कृष्ण की पूरी सेना थी। उनके पास कई महारथी थे।कौरवों की तुलना में पांडवों के पास कुछ भी नहीं था। लेकिन युद्ध मे विजय पांडवों की हुई। क्योंकि पांडवों के मन मे भय नहीं था। उसने मन मे दृढ़ संकल्प था अपने लक्ष्य की प्राप्ति का।
अगर कोई व्यक्ति इस संसार मे सब कुछ अपने मन का पाना चाहता है। तो उस व्यक्ति को अपने भय पर विजय प्राप्त करनी होगी। व्यक्ति के लक्ष्य का सबसे बड़ा रोड़ा उसका भय है।
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