आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि लंबे जीवन के लिए आनुवंशिकता और जीवनशैली दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन दोनों के योगदान का सही अनुपात क्या है, यह एक बहस का विषय रहा है। हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस सवाल पर नई रोशनी डाली है, जिसमें चूहों पर किए गए प्रयोगों के परिणामों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में हम इस अध्ययन के निष्कर्षों, उनकी सीमाओं और लंबे जीवन के लिए आनुवंशिकता और जीवनशैली के महत्व पर चर्चा करेंगे।
आनुवंशिकता का प्रभाव: क्या अच्छे माता-पिता चुनना ही काफी है?
यह लंबे समय से माना जाता रहा है कि जिन लोगों के माता-पिता और दादा-दादी लंबे समय तक जीवित रहे हैं, उनके भी लंबे जीवन की संभावना अधिक होती है। यह आनुवंशिकता के लंबे जीवन में योगदान की ओर इशारा करता है। कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ़्रांसिस्को के एक अध्ययन में पाया गया कि कोशिकाओं द्वारा पोषक तत्वों का पता लगाने और उन पर प्रतिक्रिया करने के तरीके को नियंत्रित करने वाले जीन में छोटे बदलाव भी जीवों के जीवनकाल को दोगुना कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि आनुवंशिक कारक जीवन काल को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
आनुवंशिक विविधता का महत्व
हालांकि, चूँकि मनुष्य आनुवंशिक रूप से अत्यधिक विविध होते हैं, इसलिए आनुवंशिक रूप से समान चूहों पर किए गए अध्ययनों का मनुष्यों पर सीधा अनुप्रयोग करना हमेशा सही नहीं होता। इसलिए, इस अध्ययन में आनुवंशिक रूप से विविध चूहों का उपयोग किया गया था, जो मानव आबादी की आनुवंशिक विविधता का बेहतर प्रतिनिधित्व करता है। इस विविधता ने शोधकर्ताओं को आहार और आनुवंशिक दोनों कारकों के प्रभावों का अधिक सटीक विश्लेषण करने की अनुमति दी।
आनुवंशिकता बनाम जीवनशैली
अध्ययन में पाया गया कि आनुवंशिक कारकों का जीवन काल पर आहार संबंधी बदलावों की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ता है। लंबे जीवन वाले चूहे, भले ही उनके आहार में बदलाव किए गए हों, फिर भी लंबे समय तक जीवित रहे। छोटे जीवन वाले चूहों में आहार प्रतिबंध के परिणामस्वरूप कुछ सुधार हुए, लेकिन वे लंबे जीवन वाले चूहों के बराबर नहीं पहुँच पाए। यह इस बात को रेखांकित करता है कि आनुवंशिकी वास्तव में जीवनकाल को प्रभावित करती है।
आहार प्रतिबंध का प्रभाव: कैलोरी कम करने से क्या होता है?
अध्ययन में विभिन्न प्रकार के कैलोरी प्रतिबंध मॉडल का उपयोग किया गया था, जिसमें क्लासिकल प्रयोगात्मक मॉडल (नियंत्रण चूहों की तुलना में 20% या 40% कम कैलोरी) और एक या दो दिनों का उपवास शामिल था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चूहों में 20% या 40% कैलोरी कमी को सीधे मनुष्यों के आहार पर लागू नहीं किया जा सकता है। मनुष्यों के भोजन व्यवहार अलग होते हैं।
विभिन्न प्रतिबंध मॉडल के परिणाम
सभी कैलोरी प्रतिबंध मॉडल में औसतन चूहों के जीवनकाल में वृद्धि देखी गई, जिसमें 40% प्रतिबंध समूह में औसत और अधिकतम जीवनकाल में सुधार हुआ। 20% समूह ने भी नियंत्रण समूह की तुलना में औसत और अधिकतम जीवनकाल में सुधार दिखाया। हालांकि, सबसे कठोर कैलोरी प्रतिबंध (40% कमी) वाले समूह में कुछ नकारात्मक दुष्प्रभाव भी देखे गए, जिसमें प्रतिरक्षा कार्य में कमी और मांसपेशियों में कमी शामिल थी। ये नकारात्मक प्रभाव नियंत्रित प्रयोगशाला परिस्थितियों से बाहर स्वास्थ्य और दीर्घायु को प्रभावित कर सकते हैं।
व्यायाम का भूमिका
हालांकि इस अध्ययन में व्यायाम को नियंत्रित नहीं किया गया था, फिर भी 40% कैलोरी प्रतिबंध समूह ने अन्य समूहों की तुलना में काफी अधिक व्यायाम किया। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अतिरिक्त व्यायाम अधिक भोजन की तलाश में था, लेकिन यह संभावना भी है कि व्यायाम के सकारात्मक प्रभाव ने भी इस समूह के जीवनकाल में योगदान दिया हो।
अध्ययन की सीमाएँ और मानव अनुप्रयोग
इस अध्ययन की कुछ महत्वपूर्ण सीमाएँ हैं। सबसे पहले, यह स्पष्ट नहीं है कि ये परिणाम मनुष्यों पर भी लागू होते हैं या नहीं। चूहों पर किए गए अधिकांश कैलोरी प्रतिबंध अध्ययनों में, प्रतिबंधित आहार समूह को नियंत्रण समूह की तुलना में 20% या 40% कम कैलोरी दी जाती है। मनुष्यों में यह तुलना करना मुश्किल है। दूसरा, इस अध्ययन में व्यायाम को नियंत्रित नहीं किया गया था, जिससे व्यायाम के प्रभाव को अलग करना मुश्किल हो जाता है।
निष्कर्ष और महत्वपूर्ण बातें
इस अध्ययन से पता चलता है कि आनुवंशिक विविधता लंबे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसका अर्थ है कि “अच्छे माता-पिता चुनना” वास्तव में महत्वपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, जीवनशैली में परिवर्तन जैसे आहार और व्यायाम, सभी आनुवंशिक पृष्ठभूमि वाले लोगों में जीवनकाल में सुधार कर सकते हैं।
मुख्य बातें:
- आनुवंशिकता लंबे जीवनकाल में एक प्रमुख भूमिका निभाती है।
- कैलोरी प्रतिबंध जीवनकाल को बढ़ा सकता है, लेकिन अधिक कठोर प्रतिबंध नकारात्मक दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकते हैं।
- व्यायाम का प्रभाव जीवनकाल पर महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इस अध्ययन में इसे पर्याप्त रूप से जाँचा नहीं गया है।
- चूहों पर किए गए अध्ययन का मनुष्यों पर सीधा अनुप्रयोग करना सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
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