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नई दिल्ली । देश के विभिन्न औद्योगिक नगरी में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के फैसले से जहां मजदूरों को फिर से घर लौटने की आस जगी है तो उद्योग जगत के चेहरे पर उदासी छा गयी है। उद्योग जगत का कहना है कि यदि मजदूर गांव लौट गए तो फिर वे फैक्ट्री कैसे चला पाएंगे। स्थिति को गंभीरता को समझते हुए केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने भी मजदूरों से अपील की है कि फिलहाल वे जहां हैं, वहीं रहें। स्थिति धीरे धीरे बेहतर होगी और उनकी सुविधा का ध्यान सरकार के साथ उद्योग जगत भी रखेंगे। उधर, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा और दिल्ली की सरकारें भी मजदूरों से रुकने की गुहार लगा रही हैं।

जैसे ही सरकार को मजदूरों के वापसी की वजह से उद्योग जगत में होने वाले संकट का आभास हुआ, सरकार तुरंत सक्रिय हो गई। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योग (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में मजदूरों से अपील की कि फिलहाल वे जहां हैं, वहीं बने रहें। सरकार और उद्योग जगत मिल कर उनका ध्यान रख रही है। धीरे धीरे स्थिति सामान्य होगी और उन्हें फिर से काम मिलेगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उद्योग शुरू हो गए हैं, जो नहीं खुले हैं वो भी कल से शुरू हो जाएंगे, इसलिए मैं प्रवासी श्रमिकों से अनुरोध करता हूं कि आप अभी अपने घर न जाएं, आपको यहां कोई परेशानी नहीं आएगी।

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर शुक्रवार को केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक वेबिनार का आयोजन किया जिसमें सरकारी महकमे के लोगों के साथ साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस दौरान मंत्री ने मजदूरों की स्थिति, उन्हें दी जा रही सुविधा तथा उनकी दिक्कतों का जायजा लिया। उन्होंने इस दौरान उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से अपील की कि प्रवासी मजदूरों का ध्यान केंद्र और राज्य सरकारें तो रख ही रही हैं, उद्योग जगत भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें।

श्रम मंत्री के वेबिनार के दौरान बताया गया कि इस समय देश भर में करीब 12 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं, जो कि अपने घरों से दूर औद्योगिक नगरी एवं महानगरों तथा बड़े शहरों में मजूदरी कर अपना भरन-पोषण करते हैं। इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इनमें से आधे से भी ज्यादा मजदूर इंफोर्मल सेक्टर में काम करते हैं। इसका मतलब है कि इनकी नौकरी का कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए यही मजदूर कुछ दिक्कत होने पर सबसे पहले गांव का रास्ता पकड़ते हैं।