एक बार एक नदी में जोरो की बाढ़ आई। तीन दिनों के बाद बाढ़ का जोर कुछ कम हुआ। बाढ़ के पानी में ढेरों चीजें बह रही थीं। उनमें एक ताँबे का घड़ा एवं एक मिट्टी का घड़ा भी था। ये दोनों घड़े अगल-बगल तैर रहे थे।
ताँबे के घड़े ने मिट्टी के घड़े से कहा- अरे भाई, तुम तो नरम मिट्टी के बने हुए हो और बहुत नाजुक हो, अगर तुम चाहो तो मेरे समीप आ जाओ। मेरे पास रहने से तुम सुरक्षित रहोगे!
मेरा इतना ख्याल रखने के लिए आपको धन्यवाद, मिट्टी का घड़ा बोला, मैं आपके करीब आने की हिम्मत नहीं कर सकता। आप बहुत मजबूत और बलिष्ठ हैं। मैं ठहरा कमजोर और नाजुक कहीं हम आपस में टकरा गए, तो मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। यदि आप सचमुच मेरे हितैषी हैं, तो कृपया मुझसे थोड़ा दूर ही रहिए।
इतना कहकर मिट्टी का घड़ा तैरता हुआ ताँबे के घड़े से दूर चला गया।
शिक्षा:-
ताकतवर पड़ोसी से दूर रहने में ही भलाई है।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।