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गर्भपात:- जीव को जीवन देने के लिए जीवित को मौत के मुह में धकेलना कितना उचित

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अमेरिका:- अमेरिका में गर्भपात को लेकर आये कोर्ट के फैसले ने हंगामा मचा रखा है। महिलाएं सड़क पर कोर्ट के फैसले का विरोध कर रही है। राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर उपराष्ट्रपति कमला हैरिसन कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। सोशल मीडिया पर इस समय जमकर sex strke हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। वही अगर हम बात कोर्ट की करे तो कोर्ट ने इस फैसले पर चुप्पी साध ली है और गर्भपात करवाने को असंवैधानिक करार दिया है। 

कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले पर विशेषज्ञयों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा यदि कोर्ट महिलाओं की बात नहीं मानेगा और गर्भपात को असंवैधानिक ही बताएगा तो महिलाएं इसके लिए अंतिम विकल्प के तौर पर अवैध रूप से गर्भपात करवाना शुरू कर देंगी। क्योंकि महिलाओं के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचेगा और वह गर्भ निरोधक गोलियों के उपयोग से परहेज करने की कोशिश करेंगी क्योंकि यह वास्तव में उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वही कोर्ट का यह फैसला कई लोगो के लिए मौत का कारण बन सकता है।
कहा जाता है किसी भी राष्ट्र के विकास में महिलाएं अहम भूमिका निभाती है समता, स्वतंत्रता विकास के महत्वपूर्ण अंग है। वही अब अमेरिका में चल रहा यह विद्रोह और महिलाओं की स्वतंत्र कहीं न कहीं अमेरिका के लिए बड़ा संकट बन सकती है। अगर हम पूरे विश्व की बात करें तो विश्व के ज्यादातर देश पितृसत्तात्मक सत्ता की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। जिसके चलते महिलाओं की आबादी को संरक्षित रखना वास्तव में एक बड़ा काम है। अमेरिका के गर्भपात के कानून ने वास्तव में महिलाओं की दशा को व्यक्त कर दिया है और बता दिया है कि आज भी समाज पितृसत्ता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है।
जाने कब अमेरिका में बनी थी गर्भपात की राह आसान:-
अमेरिका में गर्भपात करवाना तब आसान हो गया जब वर्ष 1971 में गर्भपात करवाने में असफल रही एक महिला की ओर से अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस मुकदमे को ‘रो बनाम वेड’ नाम से जाना जाता है। इस याचिका में गर्भपात की सुविधा तक आसान पहुंच की गुहार लगाई गई थी और कहा गया था कि गर्भधारण करना और गर्भपात करवाना महिला का स्वम् का निर्णय होना चाहिए।
महिला की इस याचिका पर सुनवाई के बाद अमेरिका में 1973 में महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार मिला। लेकिन यह फैसला पूरे अमेरिका को स्वीकार नहीं था और लोगो ने कोर्ट के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया। इस फैसले पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के अलग अलग विचार सामने आने लगे और अमेरिका में गर्भपात कानून के नाम पर राजनीति शुरू हो गई। वर्ष 1980 तक यह मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा और अंततोगत्वा रिपब्लिकन पार्टी और चर्च की विचारधारा की जीत हुई, जो वास्तविकता में आधी आबादी की सबसे बड़ी हार है।
गर्भपात को अवैध बताने के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही।दिया जाता है कि इसमे हम एक जीव की हत्या करते हैं। लेकिन तर्क यह भी है जो जन्म नहीं वह जीव कैसे हो सकता है। जो अजन्मा है उसके जीवन की रक्षा कैसे सम्भव उसके जीवन को बचाने के लिए किसी जीवित को मौत के मुह में धकेलना कितना उचित है। क्योंकि यह सभी को पता है एक महिला के लिए गर्भपात आसान नहीं होता है और कोई भी महिला बिना किसी कारण के गर्भपात नहीं करवाना चाहती है।
फिर कोर्ट द्वारा गर्भपात को अवैध बताना सिर्फ महिलाओं के लिए समस्या है और यह एक जीव को जीवन देने के लिए जीवन को मौत के मुह में धकेल रहा है। लेकिन एक सच यह भी है कि कोर्ट का यह फैसला कभी भी गर्भपात को नहीं रोक सकता। गर्भपात पर कानूनी रोक गर्भपात के चिकित्सकीय दरवाजों को तो अवश्य बंद कर सकती है, परंतु अवैध रूप से हो रहे गर्भपात को रोकना आसान नहीं होगा।

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