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अंबेडकर का जाति मुक्त भारत का सपना , जातिय बेंडियो में जकड़े दलित ही नहीं पूरा होने दे रहे

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Ambedkar jayanti| आज यानी 14 अप्रैल को भारत मे संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है। भीमराव अंबेडकर को दलित नायक भी कहा जाता है। इन्होंने अपना पूरा जीवन शोषित और दलित को उनके हक दिलाने में गुजारा दिया। इनका उद्देश्य था कि भारत जाति व्यवस्था से मुक्त हो और सभी को उसके अधिकार मिले।

अंबेडकर का जाति मुक्त भारत और आज की राजनीति:-

आज अंबेडकर के नाम पर राजनीति एक अलग ही रूप ले चुकी है। बसपा अंबेडकर के नाम पर दलित वोट बैंक को साध रही है। एक ओर जहां अंबेडकर जाति को खत्म करने की बात करते रहे हैं वही दलित आज जातिय धर्म की बेंडियो में जकड़ा हुआ है। उनकी पार्टी वही है जो उनके समाज के नायक द्वारा संचालित। वह जाति पर नहीं पार्टी के नायक पर मतदान करते हैं और अंबेडकर के कदम पर चलकर जाति व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं। 
आज सिर्फ बसपा ही नहीं अपितु प्रत्येक राजनीति दल जातिय वोट बैंक अपने खेमे में करने की कोशिश करता है। क्योंकि भारत मे एकता से पहले जातिय धर्म को तबजुब दिया जा रहा है। हर दल एक विशेष जाति से जुड़ा हुआ है। यदि बसपा दलित के बलबूते पर राजनीति में राज करना चाहती है। तो सपा मुस्लिम वोट बैंक पर अपना कब्जा जमाए है। भाजपा को लोग हिन्दू का तमगा पहना रहे हैं। वही कांग्रेस पंडित राहुल गांधी के नाम से जातिय समीकरण तैयार करती है। हर दल को जातिय वोट की अभिलाषा रहती है। लेकिन अंबेडकर के उद्देश्य जाति का विनाश पर किसी का ध्यान केंद्रित नहीं होता। 

जातिय समीकरण में कितना जकड़ा है दलित:- 

आज लोग जाति के लिए ब्राह्मण और क्षत्रिय को दोषी ठहराते हैं समाज मे ऐसी कुटिल मानसिकता के लोग हैं जो जाति व्यवस्था को बढ़ावा देने का सम्पूर्ण आरोप इन वर्ग के लोगों पर मढ़ देते हैं। समाज मे व्याप्त हिन्दू मुस्लिम की भावना पर बड़े बड़े राजनेता अपने बयान देते हैं और अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकते है। हिन्दू मुस्लिम तो दो धर्म है जो सभी को दिखाई देते हैं। लेकिन भारत फैले जातिय धर्म पर किसी का ध्यान केन्दित नहीं होता। आज दलित खुद को अंबेडकर के नक्से कदम पर चलने को बताता है लेकिन वास्तव में वह कट्टर जातिय धर्म मे जकड़ा हुआ है। वह स्वयं को कट्टर चमार, कट्टर दलित के नाम से सम्बोधित करता है। जब उससे मतदान की बात करो तो वह कहता है हम चमार हैं तो चमार को वोट देंगे। लेकिन लोगो को जाति का बढ़ावा देने का सम्पूर्ण दोष सिर्फ ब्राह्मण और क्षत्रिय के माथे पर मढ़ना रहता है। 

अंबेडकर जयंती पर समरसता दिवस मना कर भाजपा ने रचा नया चक्रव्यूह :-

जब से भाजपा की सत्ता आई देश मे कई चीजें बदली है। वैसे तो लोग भाजपा को हिन्दू की पार्टी कहते हैं लेकिन भाजपा ने सर्वसमाज के बीच अपनी धमक बना ली है। आज हर समाज भाजपा के कार्य से कहीं न कहीं खुश हैं। वही बसपा के दलित वोट बैंक पर भी भाजपा ने अपना परचम लहराया है और उसे अपने खेमे में कर लिया है। वही आज अंबेडकर जयंती के मौके पर भाजपा समरसता दिवस मना रही है। वही बीजेपी पूरे प्रदेश में जिले से लेकर मंडल स्तर पर अंबेडकर जयंती मनाकर दलितों के बीच रहेगी। भाजपा के इस समरसता दिवस ने बसपा के दलित वोट बैंक पर सीधे प्रहार किया है। इस प्रहार का सबसे बड़ा नुकसान बसपा को आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। यदि हम राजनीतिक परिपेक्ष्य से देखे तो इसका एक मात्र उद्देश्य बसपा के दलित वोट बैंक में सेंधमारी करना है।

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