img


कोरोना महामारी से जहाँ पूरा देश बुरी तरह प्रभावित है ,देश में कुल मौतों की संख्या 3,31,895 तक पहुँच चुकी है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में भी इस महामारी से लगभग 35,50,979 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं l यदि आंकड़ों को देखें तो पूरे विश्व में अमेरिका और ब्राजील के बाद मौतों की संख्या के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है l देश भर में रोज हजारों मौते हो रही हैं l स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार संक्रमितों का आंकड़ा भी 18,95,520 के करीब है l किन्तु सुखद तथ्य ये है कि पिछले अप्रैल महीने में कोरोना ने जो हाहाकार पूरे देश में खासकर महाराष्ट्र ,दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मचाया उससे काफी हद तक स्तिथियाँ अब संभल चुकी हैं और धीरे धीरे संक्रमितों की संख्या के साथ ही मौतों का आंकड़ा भी तेजी से कम हो रहा है,ये पूरे मानव समाज के लिये एक सुखद संकेत है l

दु:खद तथ्य ये है कि कोरोना की दूसरी लहर के इतने बुरे दौर से गुजरने के बाद भी कुछ राज्यों की सरकारें और प्रशासनिक तंत्र के साथ ही कुछ मुट्ठी भर लोग अभी भी आंख-नाक कान बंद किये बैठे है l  आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि जहाँ पूरा देश एक छद्म दुश्मन के कारण लॉकडाउन झेल रहा है सारे व्यापारिक प्रतिष्ठान लगभग दो महीनों से पूरी तरह बंद पड़ें है,जनता घरों में  रहने के लिये विवश है,  बच्चों की पढाई तक ऑनलाइन माध्यम से हो रही है, यहाँ तक कि शादी-ब्याह और दाह संस्कार जैसे कामों में भी कहीं 20 तो कहीं 50 लोगों से ज्यादा लोगों के जमा होने पर सख्त पाबन्दी है l वहीँ कुछ गैर जिम्मेदार और कानून का पालन न करने वालों लोगों के कारण आये दिन मृतकों के अंतिम संस्कार में हजारों-लाखों की भीड़ जुट रही है l

ताजा मामले में कांग्रेस की राजस्थान सरकार के मुखिया की नाक के नीचे राजधानी जयपुर में राज्य सरकार के सख्त लॉकडाउन के दावे की जनता ने जमकर धज्जियां उड़ा डालीं l विगत सोमवार को शहर के रामगंज थाना इलाके में जयपुर के जाने-माने समाजसेवी हाजी रफत अहमद  के जनाजे में लगभग 15 हजार लोग शामिल हुये और गहलौत सरकार के सरकारी नियम कायदों का यह ‘जनाजा’ कांग्रेस सरकार के दो विधायकों की अगुवाई और मौजूदगी में निकाला गया। भीड़ में ज्यादातर लोगों ने न ही मास्क पहना था न ही सोशल सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन हुआ l इस जनाजे में किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक अमीन कागजी और आदर्श नगर से कांग्रेस विधायक रफीक खान भीड़ में शामिल थे इस भीड़ को पुलिस ने जितना रोकना चाहा, वह उतनी ही और बढ़ती गई । स्तिथि यहाँ तक बिगड़ गयी कि अंत में पुलिस ने भीड़ को रोकना बंद कर खुद ही सुरक्षा घेरा देकर जनाजा निकलवाने में मदद की l यदि इस लापरवाही के बाद जयपुर के साथ ही पूरे राजस्थान में कोरोना की धीमी पड़ती रफ़्तार फिर तेज होती है तो क्या इसके लिए उन विधायकों और उनके आह्वाहन पर जमा हजारों की भीड़ जिम्मेदार नहीं होनी चाहिये l

ये पहला मामला नहीं है जब कोरोना काल में आम जनता के कुछ हजार लोगों के द्वारा कोरोना नियमों को तोडा गया हो,विगत 27 अप्रैल को ही राजस्थान के जैसलमेर में मौलाना गाजी फकीर के अंतिम संस्कार में भी ऐसी ही बदतर स्थिति थी l राजस्थान सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और पोखरण से विधायक सालेह मोहम्मद के पिता मौलाना गाजी फकीर के अंतिम संस्कार स्थल पर जमा हुई हजारों की भीड़ ने भी कोरोना नियमों की जम कर धज्जियाँ उड़ाई थीं l

उधर पिछले 5 अप्रैल को बिहार के मुंगेर में हजरत मौलाना वली रहमानी जो कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव के अलावा सह इमारत ए शरिया बिहार, झारखंड, उड़ीसा के अमीरे-ए-शरीयत भी थे उनके भी निधन पर बिहार के मुंगेर में उनके मृत शरीर को गार्ड ऑफ ऑनर देने के साथ ही तोपों की सलामी भी दी गयी l गौरतलब बात ये है कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने खुद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने की घोषणा की थी जिसका नतीजा ये हुआ की जनाजे में देश भर से करीब दो लाख लोग उनके जनाजे में शामिल होने मुंगेर के खानकाह पहुंचे थे l

यूपी के बदायूं में 11 मई को एक मुस्लिम धर्मगुरु जिला काजी हजरत शेख अब्दुल हमीद मुहम्मद सालिमुल कादरी का देहांत हो गया और उनके जनाजे में सरकारी नियमों कि बखिया उधेड़ते हुए 15-20 लोग नहीं, बल्कि 15-20 हजार लोग नियमों को दरकिनार कर बिना मास्क के ही हजारों की संख्या में पहुंच गए,साथ ही जनाजे में शामिल लोग मृतक को कंधा देने की होड़ में भी लगे रहे l यहाँ भी लोगों ने कोरोना नियमों को ताक पर रख दिया ! जब ये मामला भी सोशल मीडिया पर हाई लाइट हुआ तब जाकर पुलिस ने अगले दिन अज्ञात लोगों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया और अब कार्रवाई की बात कही जा रही है l इस घटना से सिर्फ एक महीना पहले ही यूपी के संभल में भी 16 अप्रैल को मौलाना अब्दुल मोमिन नदवी की मौत पर भी वहाँ के स्थानीय अंजुमन इस्लाम मदरसा में हजारों लोगों की भीड़ कोरोना नियमों को ताक पर रखकर जमा हो गयी थी l

गुजरात के अहमदाबाद जिले से भी विगत 6 मई को एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया था जिसमे मध्य गुजरात स्थित साणंद में कोरोना नियमों को धता बताते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं धार्मिक कार्यक्रम के लिए सर पर कलश लिए एक साथ सड़क पर निकल पड़ी थीं l सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी जम कर वायरल हुआl इस दौरान भी कोविड नियमों की जमकर धज्जियां उड़ीं l कहा जा रहा है कि ये सभी महिलाएं बलियादेव मंदिर में एकत्र होने जा रही थीं ! प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक इस आयोजन में शामिल 24 महिलाओं और गाँव के सरपंच को कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है l

कोरोना महामारी के इस दौर में पूरे देश में ऐसी अनेकों घटनायें हुई हैं जो भारत की साख पर बट्टा लगाने के साथ ही इस बुरे दौर में भी भारत के नागरिकों की जबरदस्त लापरवाही को उजागर करने के लिये पर्याप्त हैं ! यहाँ प्रश्न ये उठता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन कराने का दायित्व क्या सिर्फ पुलिस प्रशासन पर ही है ? क्या भारत की जनता सिर्फ लाठी-डंडों की भाषा ही समझती है ? प्रशासन को चुनौती देते हए इस तरह भीड़ को जमा करना, जानबूझकर कोरोना नियमों का उल्लंघन करना क्या भारत के नागरिकों का प्रथम कर्त्तव्य बन चुका है और इसके बाद यदि पुलिस प्रशासन नियमों का पालन कराने के लिए सख्ती करे और कानून तोड़ने के आरोप में किसी के विरुद्ध एफआईआर करके गिरफ़्तारी करे तो एक बार फिर उसे छुड़ाने के लिये पुलिस अत्याचार के नाम पर भीड़ को जमा कर लेना क्या महामारी को खुला निमंत्रण देना नहीं है l

संघीय व्यवस्था में प्रदेश सरकार के आदेशों का पालन कराने का दायित्व कार्यपालिका पर होता है किन्तु जब देश की जनता स्वयं ऑंखें बंद किये बैठी हो तो फिर किसे दोष दिया जाये l जिस तरह खुलेआम ये घटनाएँ होती रहीं और लोग कानून का मजाक बनाते रहे,ये वास्तव में अत्यंत ही निंदनीय एवं सोचनीय है l इसका साफ़ अर्थ तो यही निकलता है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लाखों की संख्या में अपने सगे-सम्बन्धियों को खोने के बाद भी इस देश के नागरिकों को बुद्धि नहीं आयी है ! इस तरह की आपराधिक लापरवाही हमें कोरोना की तीसरी संभावित लहर के आमंत्रण का खुला सन्देश दे रही है l

लेखक-पं.अनुराग मिश्र

स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक 

नोट-ये लेखक की मौलिक रचना है,इस लेख के सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं