जीवन शैली| महात्मा गांधी जिनका नाम भारत के इतिहास में मोटे अक्षरो में मुद्रित है। भारत का बच्चा बच्चा इनके नाम को जानता है। यह वह महान पुरष है जिन्होंने अंग्रेजी सत्ता के सामने बिना हथियारों को संघर्ष किया और एकजुटता का परिचय देते हुए सम्पूर्ण भारत को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया। गांधी को लोग शान्ति का दूत भी मानते थे। इन्होने बिना हथियारों के सभी को परास्त किया। वही यदि हम आज की तारीख को याद करें तो आज के दिन गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ दांडी मार्च निकाला था।
यह वही मार्च है जिसने नमक मार्च या दांडी सत्याग्रह के नाम से इतिहास में जगह मिली है। बात उस समय की है जब भारत अंग्रेजी सत्ता के पराधीन था। अंग्रेजों का हुक्म न मानने वाले को मौत की सजा मिलती थी और अंग्रेज जैसे चाहे वैसे भारत पर कर लगाकर भारत की अवाम को अपने अनुसार काम करने को मजबूर करते थे। वर्ष 1930 जब अंग्रेजों ने भारत पर जुल्मों की हद पार करदी और नमक पर कर लगा दिया।
अंग्रेजों ने कानून बनाया की अब सभी भारत वासियों को नमक के लिए कर देना होगा। गाँधी जी ने अंग्रेजों के इस नमक कानून के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और 12 मार्च 1930 को दांडी सत्याग्रह आरम्भ हुआ। बता दें इस सत्याग्रह में गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल 390किलोमीटर की यात्रा की थी। 12 मार्च को शुरू हुई ये यात्रा 6 अप्रैल 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून भंग करने का आह्वान किया।
वही नमक कानून से मुक्ति दिलाने हेतु उसी समय उन्होंने सविनय अवज्ञा कार्यक्रम आयोजित किया। गांधी के इस आंदोलन में सी. राजगोपालचारी, पंडित नेहरू जैसे आंदोलनकारी शामिल थे. इसके तहत गांधी व अन्य समर्थकों को अंग्रेजों के जुल्म सहने पड़े कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई। यह आंदोलन पूरे एक वर्ष तक चला और वर्ष 1931 में इसपर विराम लगा। बता दें यह आंदोलन इरविन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया और सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ हुआ।