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देश– गांधी जी का नाम पूरा विश्व जानता है। हर कोई गांधी जी के मार्ग चलना चाहता है। क्योंकि गांधी ने हिंसा का मार्ग अपनाए बिना देश को अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद करवाया। महात्मा गांधी का नाम भारत मे बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। बच्चे महात्मा गांधी को प्यार से बापू कहकर पुकारते हैं। वही गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता है।

आज विश्व के लगभग 70 देश ऐसे होंगे जहां महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित होगी और वहां महात्मा गांधी को अहिंसा प्रेमी के रूप में जाना जाता है। एक ओर जहां कई देश गांधी का सम्मान करते हैं उनका नाम गर्व के साथ लेते हैं। वही दूसरी और कई जगहों से गांधी की प्रतिमा खंडित होने की खबरे सामने आती रहती है।
गांधी के चंपारण में, मोतिहारी के चरखा पार्क में खड़ी गांधी की मूर्ति पिछले दिनों ही खंडित की गई है। लेकिन यह कोई नई बात नहीं है हर समय यह खबरे सामने आती रहती है कि आज महात्मा गांधी की तस्वीरें टूट गई है। लेकिन इससे महात्मा गांधी की महानता को कोई कम नही कर सका क्योंकि गांधी ने अपनी छवि अपने कर्मो से बना रखी थी और उनके आलोचना उनकी प्रतिभा को कम नही कर सकते.

संघर्ष ही गांधी है-

महात्मा गांधी को संघर्ष के रूप में देखा जाता है। गांधी ने अपने जीवन मे कई उतार चढ़ाव देखे। जब वह विदेश पढ़ने गए तो उन्हें नश्ल भेद देंखने को मिला। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। गांधी जी अंहिसा प्रेमी थे। उन्हें लगता था कि हम अहिंसा से इस संसार को जीत सकते हैं।
वही आज जब गांधी की प्रतिमाओं को तोड़ा जा रहा है तब भी गांधी का संघर्ष बोल रहा है। आलोचनाओ के बाद भी गांधी की प्रतिभा कम नही हुई है। लोग आज भी गांधी को सम्मान से देखते है और उनका स्मरण बड़े ही प्रेम के साथ करते हैं।

कब से चल रहा गांधी की प्रतिमा तोड़ने का ट्रेंड-

महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ना आज कोई नई बात नहीं है यह ट्रेड पहले भी चल चुका है। 60 से 70 के दशक में कई लोग ऐसे हुए जिन्होंने गांधी का विरोध किया। जब नक्सली उन्माद जोरों पर था. गांधी की मूर्तियों पर हमले हो रहे थे. वो तोड़ी जा रही थीं. विकृत की जा रही थीं. अपशब्द आदि लिखकर उन्हें मलिन करने की कोशिश की जा रही थी।
जयप्रकाश नारायण ने एक बार अपनी गांधी बिरादरी को संबोधित करते हुए लिखा था, “गांधी से इन लोगों को इतना ख़तरा महसूस होता है. वे इनकी मूर्तियां तोड़ने में लगे हैं, इसे मैं आशा की नज़रों से देखता हूँ.”
जेपी ने कहा था, “यह हम गांधीजनों को सीधी चुनौती है, जो अपनी-अपनी सुरक्षित दुनिया बनाकर जीने लगे हैं. चुनौती नहीं, तो गांधी नहीं।
लेकिन आज के समय मे अगल तरीके से गांधी का विरोध हो रहा है। आज भी वो नक्सली है जो गांधी का विरोध करते हैं लेकिन अब उन्होंने एक नया चोला पहन रखा है। वह अब एक विशेष विचारधारा के माध्यम से गांधी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। लेकिन गांधी तो संघर्ष है और संघर्ष जारी रहता है।

जब गांधी जयंती पर ट्रेड किया गोडसे-

गांधी विरोधी अभियान चलाने में सोशल मीडिया ने कोई कसर नही छोड़ी है। बीते साल गांधी जयंती के मौके पर।सोशल मीडिया पर गोडसे ट्रेड में आए। गोडसे के समर्थकों ने #गोडसे के साथ जमकर गांधी का विरोध किया। लेकिन गांधी के समर्थकों ने गांधी जयंती पर गांधी के संदेश को दुनिया तक पहुंचाया।
सोशल मीडिया पर अक्सर लोग गांधी के खिलाफ जहर उगलते दिख जाते हैं। लेकिन इससे गांधी पर कोई फर्क नही पड़ता था। क्योंकि गांधी शुरुआत से संघर्ष का प्रमाण रहे हैं और गांधी का संघर्ष कभी आलोचनाओ से नही डरा। आज आलोचनाओ के बाद भी गांधी अस्तित्व में है और लोग गांधी की नीतियों पर चल रहे हैं। इससे यह तो साफ है कि गांधी हिसा पर प्रहार है आलोचनाओ का शान्त जवाब है और कभी न हारने वाले संघर्ष है।