हर घर तिरंगा: देश आजादी का 75 वां उत्सव मना रहा है। हर कोई हर घर तिरंगा अभियान के समर्थन में खड़ा है। बच्चे बूढ़े , बढ़े सब आजादी के रंग में रंगे हुए हैं। लेकिन इस आजादी के बीच महिलाएं चीख रही है वह अब सच में आजाद होना चाह रही है। वह अब उड़ने को बेताब हैं। वह चाहती है पितृसत्ता से मुक्त होना और नए युग मे प्रवेश करना। क्योंकि आजादी को आज भले ही 75 साल हो गए हैं लेकिन महिलाएं अभी भी बेड़ियों में जकड़ी हुई है।
आज हमारे देश मे एक वर्ग ऐसा है जिसका शोषण हो रहा है। देश जाति धर्म के नाम पर लड़ रहा है। आपसी भाईचारे का कत्ल हो रहा है। मानवता से ऊपर धर्म को रखा जा रहा है। आज इंसान इंसान का कत्ल करने को आमादा है। महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
महिलाओं को आज भी अपने लिये निर्णय लेने की आजादी नहीं है वह जकड़ी है आज आजाद सी दिखने वाली गुलामी की बेड़ियों में जहां उन्हें हर बार यह बताया जाता है कि वह आजाद है लेकिन जैसे ही वह अपने हक की आवाज उठती है उन्हें यह याद दिला दिया जाता है वह महिला है उन्हें यह अधिकार नहीं है कि वह कोई निर्णय ले सकें।
आज हमारे देश मे विकास की गंगा बह रही है। हजारों महिलाओं के ऐसे उदाहरण मिल जायेंगे जो प्रेरणादायक है। उन्हें देखकर लगता है हमारा देश वास्तव में आगे बढ़ रहा है। लेकिन एक सच यह भी है कि करोडों की आबादी में यह हजारों के उदाहरण मन को झझकोर देते हैं। क्योंकि यह महिलाओं की आजादी पर सवाल उठाते हैं। आज समाज काफी बदल गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं की स्थिति खराब है। उनका शोषण होता है। उन्हें काम करने की मशीन समझा जाता है।
आज महिला सुरक्षा की बाते हो रही है उनकी सुरक्षा को लेकर कानून बनाये जा रहे हैं। लेकिन इस सबके बाद भी समाज मे महिलाओं को लेकर संकीर्ण सोच बनी हुई है। उनका सम्मान सोशल मीडिया पर खूब होता है लेकिन वास्तव में महिलाओं को पुरुषों से कम आंकने की सोच आज भी लोगो के मस्तिष्क पर हावी है। आज हम विकास के पथ पर चल रहे हैं लेकिन ग्रामीण परिवेश में महिलाओं की स्थिति खराब है।
महिलाओं को आज भी हिंसा सहनी पड़ रही है उन्हें पुरुषों के अधीन रहना पड़ रहा है उन्हें शिक्षा के सुचारू साधन नही मिल पा रहे हैं। जिसके कारण वह विकास से काफी दूर है उन्हें नही पता है देश के बारे में और स्त्यता यही है कि आजादी तब तक अधूरी है जब तक महिलाओं को सच मे आजादी नहीं मिलती है।
क्योंकि आजादी का मतलब समता, समानता , एकजुटता, समान शिक्षा है और महिलाएं अभी भी इन सभी चीजो से वंचित हैं। जब तक उन्हें यह सब नही मिलता ओर करोडों की आबादी ने करोड़ो महिलाएं पुरुष के बराबर नही खड़ी होती तब तक आजादी अधूरी रहेगी और आजादी का जश्न भी क्योंकि आज आप कोई भी क्षेत्र उठाकर देख ले वहां महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा कम ही मिलेगी।
उदाहरण के लिए हमारे देश की राजनीति को ही ले लो। आज राजनीति में महिलाओं की संख्या गिनी चुकी है। इतनीं कि उन्हें हम अंगुलियों पर गिन सकते हैं। भारत के उच्च पद पर महिलाएं तो पहुंच गई है लेकिन कितनी यह आप गिनती करके बता सकते हैं। वास्तव में देश आजाद तब होगा जब हम सबको समान देखेगे और महिलाओं की सँख्या किसी भी क्षेत्र में अंगुलियों पर नही गिनी जा सकेगी।