Delhi| कल यानी 16 अप्रैल को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी से हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर निकल रही शोभा यात्रा के दौरन हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में छः पुलिस कर्मी भी घयाल हुए हैं जिनका इलाज नजदीकी अस्पताल में चल रहा है। हुनमान जयंती पर हिंदुओं की इस शोभा यात्रा में तकरीबन 300 से 400 लोग मौजूद थे। हिंसा का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि आखिर वह कौन लोग थे जिन्होंने हिंसा को हवा दी और बहस से शुरू हुई बात हाँथपाई से पथराव और आगजनी तक पहुंच गई। आखिर वह कौन से कारण रहे की अचानक से हनुमान जयंती पर इतना बड़ा दंगा हो गया।
जहांगीरपुरी इलाके से मिली जानकारी के अनुसार लोग लगातार कोशिश में लगे हैं कि वह पता लगा सके की हिंसा के पीछे क्या कारण रहे। पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। लेकिन इसी में कई लोगों ने बताया कि यह हिंसा तब भड़क उठी जब जहांगीरपुरी इलाक़े के सी-ब्लॉक से हुनमान जयंती की शोभायात्रा गुजर रही थी अचानक से शोभायात्रा पर एक अकारण हमला हुआ। इस अकारण हुए हमले के बाद दो पक्ष में बहस छिड़ गई। बहस कब हिंसा में बदल गई पता ही नहीं चला। हिंसा में भड़की भीड़ ने इलाके के हालात बदल दिए। कई दुकानें तबाह हो गई। आगजनी से लोगों में अफरा तफरी मच गई।
वही कुछ अन्य लोग इस हिंसा का कारण हिन्दू मुस्लिम का मतभेद बता रहे हैं। उन लोगो का कहना है कि भड़काऊ नारे बाजी के चलते हिंसा को गति मिली। हालांकि इस बात में कितनी सत्यता है इससे स्पष्ट रूप से नहीं बताया जा सकता है। क्योंकि यह अभी साफ नहीं हुआ है कि हिंसा को किसने भडकाया है।
2020 के बाद कल दिल्ली में भड़का बड़ा साम्प्रदायिक दंगा:-
बता दें कल की घटना ने पूरे भारत को दहला दिया है। हिंदुओ के मन मे कई सवाल है कि आखिर क्यों सिर्फ हिंदुओं के त्योहार पर इस प्रकार के दंगे भड़क रहे हैं। सवालो के पीछे का सबसे बड़ा कारण एक सप्ताह में हिन्दू के दो बड़े त्योहार पर दंगो का भड़कना। वही यदि हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात करे तो उनकी शान्ति बनाए रखने की अपील और इन दंगों पर कोई एक्टिव एक्शन न लेना कई सवाल खड़े कर रहा है।
वही यदि हम 2020 में हुए दिल्ली दंगे की बात करे तो हनुमान जयंती पर हुआ दिल्ली दंगा 2020 के बाद हुई पहली साम्प्रदायिक हिंसा है। इस घटना ने पूरे दिल्ली को और दिल्ली सरकार को सवालों के घेरे में उतार दिया है। इससे पहले जेएनयू में रामनवमी के दिन हुए विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार वैसे ही लोगो की नजरों में चढ़ी हुई थी। क्योंकि इन्होंने जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर सिर्फ ट्वीट किया और अपना पल्ला झाड़ लिया। जिसके बाद लोग लगातार इन्हें राम के नाम पर राजनीति करने के लिए जोड़ रहे हैं और कह रहे हैं यह राम के नाम पर राजनीति करेंगे लेकिन राम के लिए बोलेंगे नहीं।