सम्पादकीय :
एक आईएएस ,आईपीएस , और पीसीएस अधिकारी बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है जिसमे प्री , मेंस और इंटरव्यू के बाद तब कही उसको नौकरी मिलती है। आईएएस ,आईपीएस , और पीसीएस अधिकारी बनने के बाद लोगो का लगता है अब यह बड़े अधिकारी बन गए है इनका बड़ा पावर है भाई इतनी कड़ी मेहनत के बाद तब कही जाकर आपको बड़े पद पर जाने का मौका मिलता।है। समाज में पावर, इज्जत, शोहरत और एशो आराम करने का मौका मिलता है। लेकिन कभी यह गौर किया की क्या एक आईएएस ,आईपीएस , और पीसीएस अधिकारी कभी बिना किसी के दवाब के काम कर पाता है अगर देखा जाए तो नही क्योंकि सरकारी काम काज में भी नेताओ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत में नेता बनने की कोई भी शैक्षिक योग्यता नहीं होती है, अगर आपके पास धन और बाहुबल है तो आप भी चुनाव लड़ सकते हैं अगर आप चुनाव जीत गए तो आप स्टार बन गए हैं।
चुनाव जीतने के बाद हर नेता का अपना एक रुतबा होता है उसके सामने चाहे आईएएस आईपीएस और पीसीएस अधिकारी क्यों ना हो वह इन लोगों से अक्सर गलत निर्णय भी सही करवा लेता है, क्योंकि वहां नेता सामने खड़े अफसर को गुलाम समझता है , सामने खड़े अफसर की क्या योग्यता है, उनकी एजुकेशन और उनकी बौद्धिक क्षमता का इन नेताओं पर कोई असर नहीं पड़ता उन्हें तो सिर्फ अपना पद और अपना रुतबा ही दिखाना होता है ।खुलेआम बेज्जती करना , अपशब्द कहना यह नेताओं की आदतों में शुमार हो गया है । एक आईएएस ,आईपीएस , और पीसीएस अधिकारी बनने के लिए कड़ी मेहनत पड़ती है।यह सरासर गलत हैं की उनको सार्वजनिक स्थलों पर बेज्जत्ती करके कोई चला जाता है अगर कोई गलती है तो आप उनकी उनसे भी बड़े उच्चाधिकारियों से शिकायत करे लेकिन अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें ।
आमतौर पर लोगों के दिलो-दिमाग में अधिकारियों की शैक्षिक योग्यता नहीं अपितु नेताजी का भौकाल दिखाई पड़ता है शायद यही कारण है कि हम आज भी शिक्षा के क्षेत्र में क्यों पिछड़े है आखिर चुनावों में योग्य व्यक्तियों को चुना जाए ,और राजनैतिक दलों के नेताओ को भी चाहिए की वह भी सरेआम ऐसे अफसर की बेजती नहीं कर सकते। अगर देश को सर्वांगीण विकास करना है और आगे बढ़ना है तो नेताओं के लिए एक अध्यादेश लाकर शैक्षिक योग्यता का निर्धारण किया जाए ताकि कहीं भी अनपढ़ नेता विकास के मार्ग में बाधक न बन सके।