Independence Day: 15 अगस्त 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी मिली। वहीं 14 अगस्त की रात दिल्ली में नई सुबह के स्वागत की काफी तैयारियां हो रही थीं। एतिहासिक इमारतों और चौराहों को सजाया जा रहा है।। कोई आज़ाद सूरज देखने को बेकरार था तो कोई इस गुलामी की अंधेरी रात के बस गुजर जाने के इंतज़ार में था।
वहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बनने वाले थे। पर इसी बीच रात में नेहरू को लाहौर से एक फोन आया। लाहौर जो पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था। इस फोन के बाद से जवाहर लाल नेहरु के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थीं।
फोन पर बात करने के बाद नेहरू घबराए हुए थे। बता दें कि पाकिस्तान में 14 अगस्त 1947 की रात से ही गैर मुस्लिमों के साथ खूनी खेल शुरू हो गया था। लाहौर में हिंदू और सिखों को खून के घाट उतारा जा रहा था। जब नेहरू को फोन कॉल पर इसकी जानकारी दी गई तो उनके होश उड़ गये और उनके मुंह से एक शब्द तक नहीं निकल रहा था।
नेहरू परेशानी में थे, क्योंकि लाहौर के नए प्रशासन ने वहां के हिंदू और सिख इलाकों में पानी की सप्लाई, लाइट आदि सुविधाओं को भी बंद कर दिया था। प्यास से तड़प रहे लोग पानी की तलाश में बाहर निकलते, तो उन्हें मुसलमानों द्वारा मार दिया जाता।
स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। पूरा लाहौर बंटवारे की आग में जल रहा था। फोन पर मिली इस जानकारी के कुछ घंटे बाद ही नेहरू को भारत की आजादी पर अपना संबोधन देना था।
जानकारों के मुताबिक नेहरू अपने भाषण में अपने मन की बात कहना चाहते थे पर उस वक्त उनके मन में लाहौर में रह रहे हिंदू और सिखों की चिंता घर कर गईं थी।