डेस्क रिपोर्ट –
आज समाज में बलात्कार, छेड़-छाड़, यौन हिंसा के कई मामले निकलकर आ रहे है , लोग अक्सर कानून और प्रशासन को दोष देकर बच जाते हैं। कभी अपने गिरेबान में झाँक कर देखने की कोशिश ही नहीं करते, आँखें मूंद लेते हैं। सामाजिक तौर पर अभी इस बात को समझने की जरूरत है कि अलग तरह का बर्ताव किसी मानसिक बीमारी का लक्षण हो सकता है। लोगों में अलग-अलग प्रकार की यौन विकृतिया हो जाती हैं, जैसे कि दूसरों के कपड़े, जूतों से, किसी को नहाते हुए देखने से, उनको संतुष्टि का अनुभव होता है। यह व्यावहारिक समस्याएं भले ही सुनने में अटपटी लगें पर इनकी जानकारी मिलने पर सही समय पर सही इलाज मिलने से व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है। यह सब मानसिक बीमारी के लक्षण होते हैं और इनका इलाज संभव है,इनसे डरें नहीं। मस्तिष्क व मानसिक रोग विशेषज्ञ से विचार-विमर्श करें।
दिल्ली में एक लड़की की चाकू से गोदकर निर्मम हत्या कर दी जाती है , कही सूटकेस में लड़की को मारकर उसकी लाश फेक दी जाती है। मुंबई में तो एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को मारकर उसके कई टुकड़े किए , जिनमे से कुछ लाश के टुकड़ों को कुत्तों को खिला दिया । ऐसी तमाम घटनाएं हमारे समाज में घटित हो रही है इस पर गंभीर विचार विमर्श करने का समय है क्योंकि इस तरह की विकृत मानसिकता वाले लोग हमारे मानव समाज के लिए किसी भी सूरते हाल में ठीक नहीं है। विकृत मानसिकता वाले लोग कई उटपटांग हरकतें करते हैं कई विकृत मानसिकता के चलते लोग लड़कियों के कपड़े भी चोरी करते है ।पिता द्वारा अपनी ही पुत्री के साथ बलात्कार कारित करने की घटनाऐं लगातार बढती जा रही हैं इसलिये यह अपराध किन परिस्थिति व मानसिकता के कारण हो रहा है इस पर शोध करने की आवश्यकता है।
बच्चो के प्रति बढते हुये लैंगिक अपराधो को हमे पीडियोफिलिक वैश्य व्यक्तित्व तथा व्यवहार के विकार के रूप में सोचना होगा। ऐसा कृत्य मनोवैज्ञानिक यौन विकृति की ओर इंगित करता है, जिसका विस्तृत अध्ययन किया जाना आवश्यक है। इसके साथ पश्चिमी सभ्यता का कोढ़ भी हमारे समाज में मानसिक विकृति को बढ़ा रहा है। इसमें तमाम कमियां है हममें भी तमाम कमियां हैं,मानिये और इसको दूर कीजिये। सच और अच्छाई की जीत तभी संभव है जब किसी भी परिस्तिथि में हम गलत के आगे ना झुकने के लिए दृढ संकल्पित हैं। मानसिक विकृति को समाज से दूर करना हमारा कर्तव्य है।इसके लिए सामूहिक रूप से एकजुट होना पड़ेगा।