समझना मुश्किल है बिना समझे बताती हूं
ज्ञानग्रंथ की तुम्हें भी एक झलक दिखाती हूँ
हर छंद में वह वाणी का वरदान है
सद्गुण दायी वह दुर्गुणों का निदान है
मानव का रूप किन्तु ईश्वर का वरदान है
जीवन सफल करे जो गीता का वह ज्ञान है
मोक्षदायिनी अमृतधारा काशी विश्वनाथ का धाम है
अलकनंदा, भागीरथी सी जीवनदायिनी, पापनाशिनी
आदिशक्ति का है रूप है जिसका दिव्यता की पहचान है
शांति तेज आंखों का कर दे जीवन का कल्याण
आलौकिक दर्शन जिसने पाया उसको मिला है ज्ञान
कष्टों में भी धैर्य है जिसके , संयम अथाह अपार
ज्ञानग्रंथ को पढ़कर मिलता अवगुण से उद्धार।।