गुजरात दंगा:- वर्ष 2022 में हुए गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है और इस मामले में समाज सेवी और पेशे से पत्रकार रही तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया गया है। तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने दंगा पीड़ितों की भावनाओं को आहत किया और उनका अपने व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु फायदा उठाया। उनपर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने मोदी की छवि खराब करने की कोशिश की ओर वह कांग्रेस से जुड़ी थी।
कोर्ट में प्रधानमंत्री को क्लीन चिट देते हुए गुजरात दंगा मामले में जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। बता दें जकिया जाफरी ने अपने पति अहसान जाफरी को इस हिंसा के दौरान खो दिया था, जो कांग्रेस के पूर्व सांसद थे। वही इस हिंसा में 69 लोगो की मौत हुई थी जिसके दोषी आज जमानत पर खुले आम घूम रहे हैं। बता दें यह दर्दनाक घटना 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में गुलबर्ग सोसाइटी में हुई थी।
इस हमले में 69 लोगो की जान गई जिसमें से 30 लोग आज भी लापता हैं। इन लापता लोगो मे जकिया जाफरी के पति भी शामिल थे। इन लोगो के अन्वेषण अभी तक नहीं मिल पाए हैं। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त की गई एसआईटी द्वार करवाई गई थी। वही इस केस के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सावालो के घेरे में थे। लेकिन एसआइटी की टीम ने मोदी को क्लीन चिट दी थी जिसके बाद जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और उनके विरोध में याचिका दायर की थी जिसे साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर मोदी को क्लीन चिट दी है।
इस दंगे के मामले में 72 लोगो को आरोपी घोषित किया गया था। इन 72 लोगो मे से 4 नाबालिग थे जिनपर अलग धराओ के तहत कार्यवाही हुई थी। बाकी बचे आरोपियों में से 6 की मौत सुनवाई के दौरान हो गई थी। जबकि 38 को बरी कर दिया गया। बरी किए गए लोगों में उस समय मेघानीनगर पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक के जी एरडा शामिल थे, जिनके अधिकार क्षेत्र में गुलबर्ग सोसाइटी आती थी। वही जून 2016 को 24 दोषियों को एक विशेष अदालत ने सजा सुनाई, जिनमें 11 को उम्रकैद की सजा दी गई थी। इन दोषियों में से तीन ने अपनी सजा पूरी कर ली, जबकि उनकी अपील लंबित है। बाकी सभी 21 जमानत पर बाहर हैं, जिनमें 11 उम्रकैद वाले आरोपी भी शामिल हैं। इन 24 दोषियों में से कुछ पर गंभीर आरोप थे जबकि कुछ पर कम गंभीर आरोप थे। इनमें चार आरोपी फरार हैं।