बिहार: बिहार में सियासी घमासान जारी हो गया है। जदयू ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है और राज्यपाल को नई सरकार बनाने के पक्ष में पत्र दिया है। बीजेपी और जदयू का गठबंधन दूसरी बार टूटा है। साल 2013 में नीतीश भाजपा से अलग हुए थे और साल 2017 में यह पुनः भाजपा के साथ आए। लेकिन दोबारा भी नीतीश और भाजपा का साथ चल नही पाया और नीतीश कुमार ने कल भाजपा के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दिया।
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार का क्या रिश्ता है और नीतीश कुमार ने राजनीति में कब कदम रखा और कैसे यह 7 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। असल मे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार स्कूल के दौर से दोस्त हैं। दोनो ने कई बार एक साथ कई समाजसेवी आंदोलन में भाग लिया और दोनो ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलने वाली कांग्रेस पार्टी के विरोध में आंदोलन में भाग लिया।
इस आंदोलन ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को खूब लोकप्रियता दिलाई। लालू प्रसाद इस आंदोलन के बड़े नेता बने। 1977 में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने जनता पार्टी के टिकट से चुनावी लड़ा। इस चुनाव में लालू प्रसाद के हाथ जीत तो नीतीश कुमार के हाथ हार लगी। इन दोनों ने 1980 में लोकसभा चुनाव लड़ा और यह दोनो इस चुनाव को नही जीत पाए। लेकिन 1990 में जनता दल की धमाकेदार जीत हुई। जनता के समर्थन से पार्टी ने बहुमत प्राप्त किया।
उस समय लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने और नीतीश कुमार उनके मुख्य सलाहकार के रुप में उभर कर आए। लेकिन वक्त बदलता गया और सत्ता के सुख के आगे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की दोस्ती का रंग फीका पड़ने लगा दोनो में मतभेद हुए और नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव ने ठग की उपाधि से नवाजा।
लालू ने जब नीतीश को ठग कहा तो यह विद्रोह का संकेत था। नीतीश लालू प्रसाद के खिलाफ खड़े हों गए। नफरत की आग में जलते नीतीश ने लालू का साथ छोड़ दिया और 1994 में वह जार्ज फर्नांडिस के साथ मिल गए और इन्होंने समता पार्टी का निर्माण किया। लेकिन नीतीश कुमार को चुनाव में कुछ खास हासिल नहीं हुआ और लालू पुनः बिहार के मुख्यमंत्री बने।
नीतीश कुमार का संघर्ष जारी रहा। उन्होंने अपने मित्र की पार्टी को स्वाहा करने की रणनीति बना ली थी। कहा जाता है चारा घोटाले को सामने लाने के पीछे कही न कही नीतीश कुमार का हाथ था। साल 2005 में नीतीश ने लालू की लालटेन पर वार किया और उसे बुझा कर अपनी सरकार बना ली। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बन गए।
नीतीश कुमार ने 20 साल की सत्ता में 7 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की है। लोग नीतीश कुमार को बदलूराम के नाम से जानते हैं। इनके विरोधी इन्हें पलटू राम कहते हैं। यह अक्सर अपना पाला बदलते दिखाई देते हैं। नीतीश को लोग बदलूराम इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह किसी एक के साथ कभी नही टिके। यह समय समय पर अपने स्वार्थ के मुताबिक अपना दल बदलते रहते हैं और जहां इन्हें चीजे बेहतर दिखाई देती है वहां अपना हाथ बढ़ा देते हैं।