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इतिहास| भारत मे हिन्दू धर्म सभी धर्मों में सर्वोपरि धर्म है। हिन्दू धर्म को भारत की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। हिंदुत्व से भारत की पहचान है। लेकिन कई बार लोग भारत के हिंदुत्व पर सवाल उठाते हैं। भारत के अपने ही भारत के हिंदुत्व के आड़े आते हैं। हिन्दू वादी नीति को गलत ठहरा कर अनेको दलीलें देते हैं और बेबुनियादी बातों से हिंदुत्व को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। वह भारत के गर्व को अपने स्वार्थ के लिए भली भांति उपयोग करते हैं। जब उनका कोई राजनीतिक स्वार्थ आता है तो वह हिंदुत्व का चोला ओढ़ते है लेकिन वास्तव में जब हिंदुत्व के लिए बोलने की बात आती है तो वह कटी पतंग की भांति किनारा पकड़ लेते हैं और सर्वजन की बात करते हैं। यह वह लोग होते हैं जो समय के अनुसार अपना चोला परिवर्तित करते हैं यह कभी ब्राह्मण तो कभी क्षत्रिय बनते हैं कभी यह स्वय को हिन्दू कहते हैं तो कभी मजार में बैठ कर नमाज अदा करते हुए मुस्लिम बन जाते हैं। 

लेकिन क्या आप जानते हैं यह हिंदुत्व विरोधी नीति आज की नहीं है यह नीति तब से हमारे देश मे अपनी जगह बनाए हुए हैं जब से हमारा देश आजाद हुआ। भारत जो हिन्दू बाहुल्य देश है यदि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए तो इसमे हिन्दू को खास तौर पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन भारत के साथ सबसे बड़ी समस्या हिन्दू ही है एक और जहां भारत का बड़ा वर्ग चाहता है भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए वही एक तरफ कुछ लोग ऐसे है जो हिंदू होकर भी हिंदू के विरोध में खड़े हैं। यदि हम इतिहास के पन्नों की ओर गौर करें तो संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को कौन नहीं जानता। समाज का एक बड़ा वर्ग इन्हें भगवान के रूप में पूजता है। इन्हें बहुजन नायक के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने बहुजन आंदोलन को गति दी और ब्राह्मणवाद का विनाश करने का लक्ष्य रखा। कहा जाता है इनका उद्देश्य स्वतंत्रता, समता और बंधुता पर आधारित न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना था ।
लेकिन ब्राह्मण समाज के प्रति इनका नजरिया और हिन्दू राज के प्रति इनकी सोच हिंदुत्व को झझकोर देती है। यह हिन्दू होकर भी हिन्दू का विरोध करते थे इन्हें ब्राह्मणों से समस्या थी। यह हिन्दू राज के स्वप्न को भारत के लिए विनाशकारी मानते थे। इन्होंने अपनी किताब पाकिस्तान ऑर दी पार्टिशन आफ इण्डिया’ (1940) में बताया कि यदि हिन्दू राज का स्वप्न साकार होता है तो यह भारत के सबसे बड़ा अभिशाप साबित होगा। हिन्दू कितना भी कहे लेकिन हिन्दू धर्म स्वतंत्रता और बन्धुता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। यह लोकतंत्र से मेल नहीं खाता है। इसलिए इसे किसी भी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
इतना ही नहीं यह हिन्दू राज के विरोध में इतना खड़े हुए हैं कि इन्होंने इसका सीधा सम्बंध ब्राह्मण वाद की स्थापना से जोड़ दिया है। वही इनकी नीति सिर्फ इतनीं ही नहीं थी इन्होने हिन्दू राष्ट्र का सम्बंध में यह भी कहा कि यह ओबीसी और दलितों के लिए खतरा सिद्ध हो सकता है। इन्होंने बौद्ध धर्म का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि जब भारत पर मुस्लिमों ने आक्रमण किया उससे पूर्व भारत मे बौद्ध धर्म और ब्राह्मणों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ और बौद्ध धर्म ने ब्राह्मण धर्म को परास्त किया। 
अंबेडकर के यह शब्द स्पष्ट दिखा रहे हैं कि उन्होंने संविधान तो लिखा लेकिन सिर्फ एक विशेष वर्ग पर ध्यान केंद्रित करते हुए। वह आरंभ से ही ब्राह्मण और हिंदुत्व के विरोधी रहे हैं। इन्होंने अपनी इस किताब में ब्राह्मणों के प्रति इतना जहर उगला है जिसका जिक्र करना असम्भ है। इनके मुताबिक ब्राह्मण समाज भारत के लिए हमेशा खतरा रहा है और हिंदू राज भारत के विनाश का कारण बनेगा। यदि हम इतिहास को खंगाले तो कई ऐसे पहेलु मिल जायेंगे जो यह स्पष्ट कर रहे होंगे की भारत को हिंदू राज्य न बनने देने में अंबेडकर का भी अहम योगदान रहा है।
वही यदि हम वर्तमान परिपेक्ष्य की बात करे तो आज भी समाज मे अंबेडकर वादी सोच के लोग हैं। यह इतने कुटिल प्रवर्तित के है कि इन्हें हिन्दू से नहीं अपितु बौद्ध से प्रेम है यह हिन्दू नायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का विरोध करते हैं उनकी अभेलना करते हैं और हिंदुत्व के नाम पर लगातार हिन्दू धर्म की अलोचना करते रहते हैं। इसका हम सबसे सटीक उदाहरण अभी हाल ही में आई द कश्मीर फाइल्स फ़िल्म में देख सकते हैं। यह फ़िल्म कश्मीर में हुए पंडितों के साथ दुराचार की कहानी का वर्णन करती है। कई राज्यों की सरकारों ने इन फ़िल्म को टैक्स फ्री किया है। लेकिन कई अलोचनात्म प्रवर्तित के लोग इस फ़िल्म की आलोचना कर रहे हैं वह कई तर्क उठाकर जबर्दस्ती इस फ़िल्म की आलोचना में डाल रहे हैं। यह लोग कुछ उसी प्रवर्तित के है जो हिन्दू होकर भी हिन्दू के विरोध में खड़े वही जयचंद है जो अपने देश के साथ गद्दारी करता है।