आज़ुजीविथम - द गोट लाइफ: एक ऐसी कहानी जो आपको हिला कर रख देगी!
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे बड़ी मुसीबतों में से एक क्या है? गरीबी, बेरोज़गारी या फिर जुल्म? ज़रूर सोचा होगा। लेकिन क्या आपने कभी उन प्रवासी मज़दूरों के बारे में सोचा है जो अपनी बेहतर ज़िंदगी की तलाश में अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों में जाते हैं और फिर वहाँ गुलामी की ज़िंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं? 'आदुजीविथम - द गोट लाइफ' नाम की ये मलयालम फिल्म आपको ऐसी ही एक सच्ची और दिल दहला देने वाली कहानी सुनाती है। इस फिल्म की कहानी इतनी मार्मिक और प्रभावशाली है कि ऑस्कर 2025 की दौड़ में शामिल होने के अलावा यह मलयालम सिनेमा की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म भी बन गई है! चलिए जानते हैं कि फिल्म में आखिर ऐसा क्या है जो इसे इतना खास बनाता है।
मज़दूरों की दिल छू लेने वाली दास्तां
फिल्म की कहानी केरल के दो मज़दूरों, नजीब और हकीम, पर केंद्रित है जो बेहतर ज़िंदगी की आस में सऊदी अरब चले जाते हैं। नजीब, एक सादा, सीधा और पानी से प्यार करने वाला शख्स है जिसका एक छोटा सा परिवार है। हकीम, उसका साथी और दोस्त है। वे दोनों गल्फ कंट्रीज़ में अच्छी कमाई की उम्मीद में अपनी कुर्बानी देते हैं, लेकिन उनका सामना कड़वी सच्चाई से होता है - वे गुलामी के चंगुल में फँस जाते हैं।
गुलामी की ज़िंदगी का कठोर सच
ये फिल्म बिलकुल साफ़ शब्दों में दिखाती है कि प्रवासी मज़दूरों के साथ कैसा सलूक होता है। बिना वेतन के काम, भूख-प्यास, मारपीट – ये सब उनका रोज़मर्रा का जीवन बन जाता है। नजीब, जो कभी पानी में तैरने और बारिश में भीगने का मज़ा लेता था, वो रेगिस्तान में एक बूँद पानी के लिए तरसता है। वो एक टूटे हुए इंसान की तरह जीने को मजबूर हो जाता है। हकीम की भी यही कहानी है, बस थोड़ा अलग अंदाज़ में।
किस्मत से समझौता और विश्वास की वापसी
ज़िंदगी की कठिनाइयों से जूझते हुए, नजीब अपना सब्र खोने लगता है। वो भगवान में से विश्वास उठा देता है। ये मान लेता है कि अब वो कुछ नहीं कर सकता है। लेकिन फिर क्या होता है? क्या नजीब इस गुलामी से आज़ाद हो पाता है? क्या उसका विश्वास फिर से जागता है? फिल्म के कहानीकार ने एक ऐसा ट्विस्ट रखा है जो आपको हैरान कर देगा! ये फिल्म सिखाती है कि कितना भी मुश्किल क्यों न हो, विश्वास कभी नहीं छोड़ना चाहिए, आपकी मेहनत और इंतज़ार रंग लाएगा।
उम्मीद की एक किरण
फ़िल्म में एक दिलचस्प मोड़ तब आता है जब नजीब को एक अप्रत्याशित मदद मिलती है, जिससे उसे अपनी गुलामी से मुक्ति मिलती है। इस मददगार शख्स का व्यक्तित्व और उसकी कहानी फिल्म को और भी दिलचस्प बनाता है।
गहरे असर डालने वाले दृश्य
फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो दर्शकों को भावुक कर देंगे। पत्नी द्वारा बनाया गया आचार का डिब्बा जो नजीब सालों तक संभाल कर रखता है, सूखी रोटी पानी में डुबोकर खाना, पानी की कमी के चलते भेड़ों के कुंड से पानी पीना, ये सारे दृश्य दर्शक के दिल में गहरी छाप छोड़ते हैं।
पृथ्वीराज सुकुमारन का कमाल का अभिनय
इस फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन ने नजीब के किरदार में जान डाल दी है। उन्होंने इस किरदार के लिए शारीरिक परिवर्तन किया जिसके लिए उन्होंने 31 किलो वज़न घटाया। उनके समर्पण और अभिनय ने सभी का दिल जीत लिया है। गोकुल ने भी हकीम के किरदार में शानदार अभिनय किया है।
टेक अवे पॉइंट्स
- 'आदुजीविथम - द गोट लाइफ' एक ऐसी फिल्म है जो आपको प्रवासी मज़दूरों की ज़िंदगी की कठिनाइयों से रूबरू कराती है।
- फिल्म में बेहतरीन अभिनय और निर्देशन है।
- ये फिल्म आपको उम्मीद और विश्वास की ताकत सिखाती है।
- ज़रूर देखें ये मार्मिक और ज़िंदगी से जुड़ी दास्ताँ।