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क्या आप जानते हैं कि भोजपुरी सिनेमा में एक ऐसी फिल्म आ रही है जो रंगभेद पर आधारित है? जी हाँ, 'करियट्ठी' नाम की यह फिल्म 31 जनवरी को वेव पर रिलीज होने वाली है और इसका ट्रेलर लोगों को भावुक कर रहा है। यह फिल्म सिर्फ़ रंगभेद के विषय को ही नहीं उठाती, बल्कि कई अहम सामाजिक मुद्दों पर भी सवाल खड़ा करती है। यह एक ऐसी कहानी है जो आपको अंदर तक छू लेगी और आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।

एक काली लड़की की कहानी: करियट्ठी का सफर

'करियट्ठी' की कहानी एक नवजात शिशु से शुरू होती है, जिसके जन्म के बाद उसकी माँ उसे 'करियट्ठी' कहकर पुकारती है, जो उसकी काली त्वचा का एक संकेत है। यह नाम उस लड़की के जीवन का प्रतीक बन जाता है - एक सफ़र जिसमें उसे समाज के रंगभेद का सामना करना पड़ता है। अपने ही घर में, अपने ही रिश्तेदारों से तानों का शिकार, वह लड़की जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करती है। फिर एक अद्भुत मोड़ आता है जब एक युवा उससे प्यार करने लगता है। उनकी शादी हो जाती है। पर यह खुशी का पल लंबा नहीं रह पाता। एक ऐसा ट्विस्ट सामने आता है, जो इस कहानी को और दिलचस्प और मार्मिक बना देता है।

समाज में रंगभेद: एक कठोर सच्चाई

फिल्म 'करियट्ठी' सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है; यह समाज में व्याप्त रंगभेद की एक करुण कथा है। यह हमें उन मानसिकताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाता है जो त्वचा के रंग के आधार पर लोगों को अलग-थलग करते हैं। हमारे समाज में कितने लोग इस समस्या से पीड़ित हैं? हम सभी को मिलकर इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।

भोजपुरी सिनेमा में एक नया आयाम

'करियट्ठी' भोजपुरी सिनेमा में एक बड़ा प्रयोग है। अक्सर मसाला फिल्मों के लिए जाने जाने वाले इस उद्योग में, यह फिल्म अपनी सामाजिक संदेश और भावुक कहानी के लिए एक अनोखा स्थान रखती है। यह एक गहराई से विचारोत्तेजक फिल्म है, जिसमें शानदार अभिनय और मनमोहक कहानी आपको बांधे रखेगी। यह फिल्म उन दर्शकों को भी अपनी ओर आकर्षित करेगी, जो भोजपुरी फिल्मों से अनजान हैं।

चुनौतियां और सफलता

फिल्म 'करियट्ठी' के निर्माता, नितिन चंद्रा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बिहार और झारखंड में सिनेमाघरों की कमी, कम बजट, और भोजपुरी सिनेमा के प्रति व्याप्त रूढ़िवादिता इन चुनौतियों में शामिल हैं। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपनी फिल्म को पूरा किया और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने का फैसला किया।

फिल्म का बजट और वित्तपोषण

सिर्फ़ 90 लाख रुपये के बजट के साथ बनाई गई 'करियट्ठी', कई छोटे-मोटे निवेशकों से मिलकर पूँजी जुटाने का एक उदाहरण है। यह फिल्म छोटे बजट के बावजूद भी बेहतरीन कहानी, कलाकारों और निर्देशन से भरपूर है। नितिन ने खुद कई जगह से धन इकट्ठा कर अपनी बहन की मदद से फिल्म को पूरा किया।

ओटीटी रिलीज़: एक जानबूझकर कदम?

नितिन ने इस बात को स्वीकार किया कि बिहार और झारखंड जैसे क्षेत्रों में थिएटरों की कमी के कारण फिल्म की थिएटर रिलीज करना मुमकिन नहीं था। इसलिए उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव को चुना ताकि उनकी फिल्म अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके।

'करियट्ठी' और इसका समाजिक प्रभाव

'करियट्ठी' एक ऐसा विषय उठाती है जो समाज के हर वर्ग को छूता है। रंगभेद एक बड़ी सामाजिक समस्या है और इस फिल्म के जरिए इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया है। यह फिल्म भोजपुरी भाषा और संस्कृति को भी एक नए तरीके से पेश करती है।

निर्देशक नितिन चंद्रा की दृष्टि

नितिन चंद्रा का मानना है कि यह फिल्म लोगों को एक दर्पण की तरह दिखाएगी। उनकी कोशिश है कि फिल्म लोगों तक पहुँचे और वे इसके महत्व को समझे। उन्होंने 2018 में एक कहानी संग्रह से प्रेरणा लेकर इस फिल्म का निर्माण किया है।

बिहार की धरती से निकली कला और कर्म

इस फिल्म की खासियत यह भी है कि इसमें बिहार के कलाकार और तकनीकी कर्मी काम कर रहे हैं। नितिन का उद्देश्य स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देना भी है। उन्होंने इस फ़िल्म के कई गानों को बहुत ही लोकप्रिय गायकों द्वारा गावाया है।

Take Away Points

  • 'करियट्ठी' रंगभेद पर आधारित एक मार्मिक कहानी है जो आपको भावनात्मक रूप से छू जाएगी।
  • फिल्म भोजपुरी सिनेमा में एक नए आयाम को स्थापित करती है।
  • यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है ताकि ज़्यादा दर्शकों तक पहुँच सके।
  • 'करियट्ठी' समाज में रंगभेद के मुद्दे पर ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलाने का प्रयास करती है।
  • फिल्म में बिहार के स्थानीय कलाकार और तकनीकी कर्मी काम कर रहे हैं।