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बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन 50 की उम्र के बाद भी उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा है. हाल ही में उन्होंने संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी' में अभिनय किया, जिससे एक बार फिर से साबित हो गया है कि उम्र महज़ एक संख्या है. मनीषा का मानना है कि महिला कलाकारों को उम्र के आधार पर काम से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कई मौकों पर बॉलीवुड में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर अपनी राय रखी है. आइए जानते हैं मनीषा कोइराला की ज़िन्दगी के उन पहलुओं के बारे में और उन मुद्दों पर भी जिन पर वो खुलकर बात करती हैं.

उम्र एक संख्या मात्र: मनीषा का सशक्त संदेश

मनीषा कोइराला ने कई इंटरव्यू में खुलकर इस बात का जिक्र किया है कि बॉलीवुड में महिला कलाकारों के साथ किस तरह का भेदभाव होता है. उनका कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को फिल्मों में कम रोल मिलते हैं, और उन्हें अक्सर मां या बहन जैसे किरदार ही निभाते हुए दिखाया जाता है. लेकिन मनीषा का मानना है कि उम्र किसी भी कलाकार के लिए काम करने की राह में रोड़ा नहीं बननी चाहिए. 50 पार करने के बाद भी वो बेहद खूबसूरत और दमदार रोल कर सकती हैं. उनका कहना है कि वो काम करना जारी रखेंगी और अच्छा दिखना चाहती हैं. इस बारे में उनका कहना है की 50 की उम्र किसी को काम करने से रोक नहीं सकती.

मनीषा की बातें : चुनौतियाँ और सफलताएँ

उनका कहना है कि उन्होंने कई राउंड टेबल मीटिंग से इस वजह से अलग रखा जाता था की ये किसी खास एज ग्रुप के लिए है. लेकिन ये केवल महिलाओं के साथ होता है, पुरुष कलाकारों को उम्र के साथ साईड लाइन नहीं किया जाता. वो कहती हैं कि वो एक कलाकार के रूप में आगे बढ़ना चाहती हैं और उम्र उनके लिए एक बाधा नहीं होनी चाहिए. उनका मानना है कि महिलाएँ किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं. मनीषा आगे कहती हैं की उनके कई रोल ऐसे है जहा उन्होंने शानदार काम किया है और उनकी एक्टिंग को लोगों ने काफी सराहा है. 

महिलाओं को मिलने वाले सीमित किरदार

मनीषा का मानना है कि महिलाओं के लिए बॉलीवुड में कम किरदार होते हैं,और उन्हें ज्यादातर मां, बहन या पत्नी जैसे रोल दिए जाते हैं. इस वजह से महिला कलाकारों को अपने हुनर को दिखाने के कम अवसर मिलते हैं. उनका मानना है कि इस तरह के स्टीरियोटाइप्स को तोड़ने की आवश्यकता है और महिलाओं को दमदार और चुनौतीपूर्ण किरदार दिए जाने चाहिए. यह एक ऐसा महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर ज़रूर बात करनी चाहिए.

रोल को चुनने की कला

मनीषा कहती हैं की उनको फिल्मो में कई ऐसे रोल मिले जिसमे उन्होंने अपने काम से सबका दिल जीत लिया. अपनी उम्र के हिसाब से चुनिंदा रोल चुनने की मनीषा ने कला सबको प्रेरित करती है. महिलाओं को ऐसे ही चैलेंजिंग रोल करने चाहिए जिसमे वो अपनी काबिलियत साबित कर सकें.

50 के बाद भी करियर की कामयाबी

मनीषा ने अपनी उम्र के बारे में कहा कि 50 के बाद भी एक्ट्रेस दमदार रोल कर सकती हैं. उन्होंने अपने करियर में कई यादगार किरदार निभाए हैं, और अब भी वो काम करना जारी रखना चाहती हैं. उन्होंने फिल्मों में हमेशा चुनौतीपूर्ण रोल निभाने के लिए प्रशंसा की है, और  वह बॉलीवुड में 50 साल की उम्र के बाद भी महिलाओं को दिए जाने वाले किरदारों को लेकर अपनी राय रखती रही हैं.

एक उम्दा मिसाल

मनीषा कोइराला की कामयाबी हमें ये सिखाती है कि किसी भी उम्र में सफलता पाना मुमकिन है. वो हर किसी के लिए एक मिसाल हैं.  अगर कोई और भी इसी तरह आगे बढ़े तो बहुत ही अच्छा है. उनकी ज़िंदगी की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा है.

टेक अवे पॉइंट्स

  • मनीषा कोइराला उम्र के साथ कलाकारों के साथ होने वाले भेदभाव के मुद्दे को उठाती हैं।
  • मनीषा का मानना है कि उम्र महज़ एक संख्या है और 50 के बाद भी महिला कलाकार सफल हो सकती हैं।
  • उन्हें महिलाओं को मिलने वाले सीमित किरदारों को लेकर चिंता है।
  • मनीषा ने कई बेहतरीन रोल निभाकर बॉलीवुड में अपना नाम बनाया है और आज भी उतनी ही एक्टिव हैं।
  • मनीषा कोइराला ने काफी सालों तक बॉलीवुड में काम किया और हमेशा अलग किरदारों को चुनती रही हैं।