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शाहरुख खान: एक अभिनेता की माँ के प्रति समर्पण की कहानी

शाहरुख खान, जिन्हें बॉलीवुड के “बादशाह” के रूप में जाना जाता है, ने 1990 के दशक में कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों से अपनी पहचान बनाई। तीन दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर में, उन्होंने “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”, “माई नेम इज़ खान” और “चेन्नई एक्सप्रेस” जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों में अभिनय किया है। 2023 में, एक संक्षिप्त अंतराल के बाद, शाहरुख ने “पठान”, “जवान” और “डंकी” जैसी फिल्मों की रिलीज के साथ शानदार वापसी की। अपनी बहुमुखी प्रतिभा और करिश्मे के लिए जाने जाने वाले शाहरुख में दुनिया भर के दर्शकों से जुड़ने की अद्भुत क्षमता है। हाल ही में एक पॉडकास्ट में, शाहरुख ने खुलासा किया कि उन्होंने अपनी माँ का सम्मान करने की इच्छा से प्रेरित होकर, संजय लीला भंसाली की फिल्म “देवदास” में काम करने का निर्णय लिया, भले ही उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी दी गई थी।

माँ के लिए समर्पित “देवदास”

एक सपना, एक भावना

लोकर्णो मीट्स पॉडकास्ट पर अपनी बातचीत के दौरान, 57 वर्षीय अभिनेता ने बड़ी फिल्में बनाने के अपने सपने को व्यक्त किया, ताकि उनके माता-पिता, जिनका निधन उनके अभिनय करियर शुरू होने से पहले हो गया था, उनके काम को ऊपर से देख सकें। उन्होंने “देवदास” (2002) पर प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने बताया कि वह पटकथा और फिल्म के भव्य सेट से मोहित हो गए थे, हालांकि इस परियोजना को शुरू करने में शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शाहरुख ने कहा, “एक समय ऐसा आया कि हम यह नहीं कर पा रहे थे और मैं आगे बढ़ गया। लेकिन मैं अपने करियर में ऐसी फिल्म करना बहुत चाहता था।”

मातृ स्नेह का प्रतीक

शाहरुख ने आगे कहा, “मेरे माता-पिता जब तक मैं फिल्मों में शामिल हुआ, तब तक गुजर चुके थे; दोनों जीवित नहीं थे। मुझे नहीं पता, किसी कारण से, मुझे हमेशा लगा कि मैं ऐसी फिल्में बनाऊँगा जो बहुत बड़ी हों, ताकि मेरी माँ और पिताजी उन्हें स्वर्ग से देख सकें।” हालांकि शाहरुख खान को दिलीप कुमार और उत्तम कुमार जैसे प्रतिष्ठित अभिनेताओं द्वारा पहले निभाए गए देवदास की भूमिका निभाने में कुछ संकोच था, लेकिन वह अपनी माँ का सम्मान करने की इच्छा से प्रेरित थे। अनुभवी अभिनेताओं की चेतावनी के बावजूद, वह इस चुनौती को लेने के लिए प्रेरित थे, अपनी माँ को आत्मा में यह बताना चाहते थे कि उन्होंने यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके लिए, यह केवल चरित्र के बारे में नहीं था, बल्कि प्रसिद्ध फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के साथ सहयोग करने का एक अवसर भी था। शाहरुख ने जोर देकर कहा, “मैं बस इसे करना चाहता था, शायद सिर्फ अपनी माँ को बताने के लिए, ‘अरे माँ, मैंने देवदास किया।’ मेरे लिए, यह सबसे पहले था और श्री भंसाली के साथ काम करना भी।”

“देवदास”: एक ऐतिहासिक फिल्म

बॉक्स ऑफिस की सफलता

संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित “देवदास”, 2002 में अपनी रिलीज के समय सबसे महंगी भारतीय फिल्म थी, जिसका बजट ₹50 करोड़ था। शाहरुख खान के साथ ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म ने व्यावसायिक सफलता और आलोचनात्मक प्रशंसा दोनों हासिल की। इसमें ऐश्वर्या राय, माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई थीं। फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में भी नए मानदंड स्थापित किए। यह फिल्म एक पीढ़ी के लिए यादगार बन गई और आज भी दर्शकों द्वारा प्यार से याद की जाती है।

सिनेमाई प्रभाव

“देवदास” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सिनेमाई घटना थी। इसने अपने बड़े पैमाने के सेट डिजाइन, विशद वेशभूषा और संगीत से दर्शकों को मोहित कर लिया। फिल्म के संगीत ने कई सालों तक बॉलीवुड में राज किया, और इसकी लोकप्रियता आज भी कायम है। “देवदास” ने बॉलीवुड के लिए एक नई दिशा निर्धारित की, और भविष्य में आने वाली कई फिल्मों पर इसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इस फिल्म ने शाहरुख खान के करियर में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया, जिससे उन्हें एक अभिनेता के रूप में एक नई पहचान मिली।

शाहरुख खान का करियर और उनकी माँ का प्रभाव

एक सफलता की कहानी

शाहरुख खान का सफ़र एक आम व्यक्ति से लेकर बॉलीवुड के बादशाह तक काफी प्रेरणादायक रहा है। उनके जीवन के अनुभवों और चुनौतियों से उनकी फिल्में अक्सर जुड़ी हुई दिखाई देती हैं। यह स्पष्ट है कि उनके जीवन और उनके करियर पर उनके माता-पिता का बहुत प्रभाव रहा है। शाहरुख ने हमेशा अपनी सफलताओं का श्रेय अपने परिवार को दिया है, और उनकी फिल्मों में एक गहरा मानवीय पक्ष भी दिखाई देता है।

भावनात्मक गहराई

शाहरुख खान अपनी फिल्मों में सिर्फ एक्टर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक गहराई दिखाते हैं जो उनके किरदारों को जीवंत बनाती हैं। “देवदास” जैसे कठिन और भावनात्मक किरदार से उनकी प्रतिबद्धता उनके अभिनय प्रतिभा की गवाही देती है। यह भावनात्मकता उनके दर्शकों से जुड़ने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके दर्शकों के साथ उनका गहरा रिश्ता एक ऐसा कारक है जिसने उन्हें इतना सफल बनाया है।

निष्कर्ष:

शाहरुख खान ने अपने करियर में कई सफल फिल्में दी हैं, लेकिन “देवदास” उनकी एक ऐसी फिल्म है जो अपनी भावनात्मक गहराई और व्यक्तिगत महत्व के लिए अलग है। यह उनके माँ के प्रति उनके सम्मान और उनकी यादों को जीवित रखने के उनके प्रयास का एक स्पष्ट प्रमाण है। इस फिल्म से उनका जुनून और समर्पण स्पष्ट रूप से झलकता है, और यह उनकी प्रतिभा और महान व्यक्तित्व का प्रमाण है।

मुख्य बिन्दु:

  • शाहरुख खान ने “देवदास” में अभिनय करने का निर्णय अपनी मृतक माँ के प्रति अपने स्नेह से प्रेरित होकर लिया था।
  • “देवदास” व्यावसायिक रूप से सफल हुई और आलोचकों द्वारा प्रशंसित हुई।
  • शाहरुख की माँ ने उनके जीवन और काम पर गहरा प्रभाव डाला।
  • “देवदास” शाहरुख खान के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा।
  • शाहरुख के व्यक्तित्व और उनकी फिल्मों के बीच एक गहरा संबंध है।