शंकर शनमुगन: भारतीय सिनेमा के विज़नरी निर्देशक जिनकी फिल्मों ने ग्लोबल दर्शकों का मन मोहा
क्या आप भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली और प्रभावशाली निर्देशकों में से एक के बारे में जानना चाहेंगे? तो फिर आप बिलकुल सही जगह पर हैं! आज हम बात करेंगे शंकर शनमुगन की, जिन्होंने अपनी अद्भुत फिल्मों से न सिर्फ़ बॉलीवुड बल्कि तमिल सिनेमा को भी एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया है। उनकी फिल्मों में विज़ुअल इफ़ेक्ट्स का कमाल, एक्शन का तड़का और बेहतरीन कहानियां देखने को मिलती हैं जो दर्शकों के दिलों में बस जाती हैं। अगर आपको ऐसी फ़िल्में देखने का शौक है तो यह लेख आपके लिए बहुत ही ख़ास होने वाला है क्योंकि हम आपको शंकर शनमुगन की ज़िन्दगी और फ़िल्मी सफ़र के बारे में हर ज़रूरी बात बताने वाले हैं!
शंकर का शुरुआती जीवन और फ़िल्मी सफ़र
शंकर शनमुगन एक ऐसे निर्देशक हैं जिन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में एक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखने की इच्छा से फ़िल्मी सफ़र शुरू किया। परंतु उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि उनका एक्टिंग के प्रति जज़्बा उतना मज़बूत नहीं है। इसलिए उन्होंने अपनी रूचि और हुनर के अनुरूप फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाना शुरू कर दिया। शुरुआती दिनों में उन्होंने प्रसिद्ध निर्देशकों जैसे एस. ए. चंद्रशेखर और पवित्रन के साथ असिस्टेंट के रूप में काम किया जिससे उन्हें फ़िल्मी दुनिया की बेहतरीन जानकारी मिली।
1993: पहली फ़िल्म 'जेंटलमैन' और फ़िल्मी दुनिया में एंट्री
उनकी पहली फिल्म 'जेंटलमैन' (1993) ने बॉक्स ऑफिस पर धमाका किया और उनकी निर्देशन क्षमता को दिखाते हुए सफलता के नए आयाम स्थापित किये। इस फिल्म ने सिर्फ़ बॉक्स ऑफिस ही नहीं, बल्कि फ़िल्मी दुनिया की तकनीकों और तरीकों को भी बदल कर रख दिया। ख़ास बात यह है कि यह फ़िल्म उस दौर की तमिल फ़िल्मों से भी ज़्यादा महंगी थी। इसके पीछे मुख्य वजह यह थी कि शंकर शुरुआत से ही फ़िल्मी तकनीकों और नए प्रयोगों के प्रति जुनून रखते थे, जैसा कि हॉलीवुड में किया जाता था।
कमाल के ग्राफिक्स और स्पेशल इफ़ेक्ट्स
अपनी दूसरी ही फ़िल्म 'कादलन' (1994) में, शंकर ने दर्शकों को फ़िल्म के शानदार ग्राफ़िक्स और स्पेशल इफ़ेक्ट्स से चकित कर दिया। ये तकनीक भारतीय फ़िल्मों में पहली बार देखने को मिली जिससे शंकर निर्देशक के तौर पर एक नया पहचान बनाने में सफल रहे। फ़िल्म की कामयाबी से उत्साहित शंकर ने अपने इस अंदाज़ को बाद में आने वाली फिल्मों में भी जारी रखा। हिंदी में डब की गई 'हमसे है मुकाबला' इस फ़िल्म को नयी ऊंचाईयों पर ले गयी।
शंकर की फ़िल्मों की कामयाबी का राज
शंकर की फिल्मों को इतना सफल बनाने का एक मुख्य कारण उनकी फिल्मों की अनोखी कहानियाँ है। शंकर आम आदमी के किरदारों पर आधारित कहानियों को बड़े ही भावनात्मक अंदाज में पेश करते हैं। मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने वाले हीरो को शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों से जूझते दिखाया जाता है जो उनसे सड़क पर चलने की अनुमति तक नहीं देते। अपने हीरो की इस संघर्ष गाथा को वे बड़े ही अद्भुत ढंग से दिखाते हैं जो दर्शकों के दिलों में समा जाती है। शंकर की फिल्मों में एक मुख्य मैसेज होता है जो दिल को छू जाता है।
'रोबोट' और '2.0' - हॉलीवुड तक गूंज
'रोबोट' (एंथिरन), भारत की पहली बड़ी बजट साइंस फिक्शन फिल्मों में से एक थी, जिसके विजुअल इफेक्ट्स और स्टंट की काफी तारीफ हुई। यहाँ तक की यह फिल्म हॉलीवुड तक में प्रसिद्ध हुई। इसके सीक्वल, '2.0' ने इस कामयाबी की अगली कड़ी को जोड़ा, जिसने पूरी दुनिया के दर्शकों के मन में एक अलग ही छाप छोड़ी।
'गेम चेंजर' – एक नया मोड़?
राम चरण स्टारर 'गेम चेंजर' में 400 करोड़ रूपये के बजट के साथ एक बहुत बड़ी फिल्म है। हालांकि, 2018 में '2.0' और 'इंडियन 2' के बाद 'गेम चेंजर' की रिलीज़ शंकर के कैरियर के लिए बहुत ही ज़रूरी साबित हो सकती है। क्या यह फिल्म अपनी विशालता और एक्शन से बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा पाएगी? क्या यह फिल्म शंकर की प्रतिभा और क्षमता को फिर से दर्शा पाएगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
टेकअवे पॉइंट्स
- शंकर शनमुगन ने तमिल सिनेमा में नए मानदंड स्थापित किये हैं।
- उनकी फ़िल्मों ने दर्शकों और क्रिटिक्स का ध्यान खींचा।
- विज़ुअल इफेक्ट्स, एक्शन, और मार्मिक कहानियों के माध्यम से शंकर अपनी फ़िल्में बनाते हैं।
- 'गेम चेंजर' से उनकी फ़िल्मी सफ़र का अगला चरण शुरु हुआ है।