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पुष्पा: द राइज़ और पुष्पा 2: द रूल – दो फ़िल्में जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया! क्या आप जानते हैं कि इन फ़िल्मों की कामयाबी के पीछे एक और जादूगर है? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं श्रेयस तलपड़े की, जिन्होंने अल्लू अर्जुन के किरदार 'पुष्पा' को अपनी आवाज़ दी और उसे हिंदी भाषी दर्शकों के दिलों में बसा दिया। आइए, जानते हैं श्रेयस के सफ़र और उनकी चुनौतियों के बारे में, जो इस किरदार को जीवंत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

पुष्पा की आवाज़: श्रेयस तलपड़े का जादू

श्रेयस तलपड़े का नाम अब हर जुबां पर है। उनकी आवाज़ ने 'पुष्पा' को एक नया आयाम दिया है, जिससे फिल्म ने नॉर्थ इंडिया में भी ज़बरदस्त सफलता हासिल की। लेकिन इस कामयाबी के पीछे कितनी मेहनत और चुनौतियाँ हैं, यह कम ही लोग जानते हैं। 'पुष्पा' का किरदार, अपने अंदाज़, अपनी डायलॉग डिलीवरी, और अपनी ज़ुबां पर पान के साथ, बेहद ख़ास है। श्रेयस ने इसे हिंदी में इतने बेहतरीन ढंग से पिरोया है कि दर्शकों को कभी भी लगता ही नहीं कि वह अल्लू अर्जुन नहीं, श्रेयस की आवाज़ सुन रहे हैं। श्रेयस की डबिंग इतनी प्रभावशाली है कि उन्होंने पुष्पा के किरदार को एक और नया पहचान दिया। श्रेयस ने न सिर्फ अपने अभिनय के लिए, बल्कि डबिंग के हुनर के लिए भी वाहवाही लूटी है। उन्होंने इस किरदार में जान डाल दी है, और उनके काम को देखकर साफ़ है कि वह कितना परफेक्ट थे इस काम के लिए।

पुष्पा 1 और 2 की अलग-अलग चुनौतियाँ

श्रेयस ने स्वयं बताया कि 'पुष्पा 1' और 'पुष्पा 2' दोनों के अलग-अलग चैलेंज थे। 'पुष्पा पार्ट 1' में काफी काम किया और काफी मज़ा आया था लेकिन पुष्पा पार्ट 1 और पार्ट 2 में काफी अंतर है। पार्ट 1 पुष्पा का राइज़ था, पार्ट 2 में वो सिंडिकेट का चीफ बन चुका है और उनका स्टेटस भी बदल चुका है। पुष्पा के किरदार में धीरे-धीरे बदलाव दिखाया गया है।

क्लाइमैक्स का वो सबसे मुश्किल सीन!

उन्होंने बताया कि सबसे मुश्किल सीन 'पुष्पा पार्ट 1' का क्लाइमैक्स था। एक ऐसे एक्शन-पैक्ड फिल्म में, जहां बहुत सारा एक्शन और रोमांच है, क्लाइमैक्स में बस हीरो और विलेन की बातचीत है। यह सीन इतना इमोशनल है और शब्दों की इतनी गहराई है कि श्रेयस को इसके लिए अलग से दिन निकालना पड़ा। ये सीन काफी इमोशनल होने के बावजूद, मुश्किल डबिंग की वजह से चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।

'पुष्पा 2' में पान और रुई का जादू

'पुष्पा 2' में पुष्पा का रुतबा बढ़ गया है। वो अब एक सिंडिकेट का चीफ बन चुका है, और पूरी फ़िल्म में उसने मुँह में पान रखा हुआ है। श्रेयस ने शुरुआत में पान लेकर डबिंग करने की कोशिश की लेकिन उनके गले में तकलीफ होने लगी, जिससे उन्हें रुई का सहारा लेना पड़ा। यह एक ऐसा डिसीजन था जिसकी वजह से ऑडियंस पुष्पा के किरदार से और भी जुड़ पाए। इस बारीकी से उन्होंने अपनी डबिंग की है जिसके लिए उनकी खूब तारीफ़ की गई।

श्रेयस का अनोखा हुनर

श्रेयस ने सिर्फ 'पुष्पा' ही नहीं, बल्कि डिज्नी की 'द लायन किंग' और 'मुफ़ासा' फ़िल्मों में भी अपनी आवाज़ दी है। उन्होंने 'टिमोन' के किरदार में भी जान डाल दी है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा उन्हें दर्शकों के बीच एक खास जगह दिलाती है। उनके इस अभूतपूर्व टैलेंट ने उनको कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाया।

टेक अवे पॉइंट्स

  • श्रेयस तलपड़े की आवाज़ ने 'पुष्पा' को हिंदी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाया।
  • 'पुष्पा 1' और 'पुष्पा 2' में अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • 'पुष्पा 2' में मुँह में पान रखने की वजह से आवाज़ में अलग प्रभाव पैदा करने के लिए उन्होंने कई प्रयोग किए।
  • श्रेयस तलपड़े एक बहुमुखी प्रतिभाशाली आवाज़ कलाकार हैं।