भारत में दवाओं की गुणवत्ता और नियामक कार्रवाई एक गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी की गई सूचनाओं ने देश में बिक रही घटिया या नकली दवाओं की संख्या को लेकर चिंता बढ़ा दी है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने स्पष्ट किया है कि हालिया रिपोर्टों में दी गई 50 नकली दवाओं पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी पूरी तरह से गलत है। वास्तव में, केवल पाँच दवाएँ ही पूरी तरह से नकली पाई गईं, जबकि बाकी 45 दवाएँ गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहीं। इस लेख में हम इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
गुणवत्ताहीन दवाओं की पहचान और कार्रवाई
CDSCO द्वारा की जा रही जांच
CDSCO हर महीने बाजार से 2,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण करता है। इनमें से लगभग 40-50 नमूने विभिन्न मापदंडों पर विफल होते हैं। यह विफलता कभी-कभी मामूली पैरामीटर में भी हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं भी हो सकती। हालांकि, CDSCO इन सभी मामलों पर अपनी वेबसाइट पर सूचना उपलब्ध कराता है।
गुणवत्ताहीन और नकली दवाओं में अंतर
DCGI ने स्पष्ट किया है कि “नकली” और “गुणवत्ताहीन” दवाओं में अंतर है। हाल ही में 45 दवाओं को गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करने के कारण उनके उत्पादों को वापस बुलाने का आदेश दिया गया है। केवल 5 दवाएँ ही पूरी तरह से नकली या अवैध पाई गई हैं, जिनके निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। यह स्पष्टीकरण भ्रम को दूर करने और स्थिति को सही संदर्भ में समझने में मदद करता है। यह समझना ज़रूरी है कि मामूली गुणवत्ता संबंधी कमियों वाली दवाएँ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा नहीं कर सकती हैं, लेकिन नकली दवाएँ खतरनाक हो सकती हैं।
नकली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया
उत्पादों की वापसी और आपूर्ति श्रृंखला का पता लगाना
जब CDSCO को किसी गुणवत्ताहीन या नकली दवा के बारे में पता चलता है, तो वह तुरंत निर्माता को सूचित करता है और उत्पादों को वापस बुलाने का आदेश देता है। इसके साथ ही, नकली दवाओं के मामले में, CDSCO पूरे आपूर्ति श्रृंखला का पता लगाता है, विक्रेताओं से लेकर निर्माताओं तक, दोषियों का पता लगाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई एजेंसियों का समन्वय शामिल है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि ऐसी दवाएँ दोबारा बाजार में न आ सकें।
कानूनी कार्रवाई और भविष्य की रणनीतियाँ
भारतीय दवा और प्रसाधन सामग्री अधिनियम में नकली और गुणवत्ताहीन दवाओं से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं। CDSCO दोषियों के खिलाफ प्राधिकरण द्वारा अभियोजन या प्रशासनिक कार्रवाई की सिफारिश करता है, जो कि उल्लंघन की गंभीरता पर निर्भर करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं कि ऐसी घटनाएं फिर से न हों, इसमें नियमों में सुधार, नियमन को कड़ा बनाना, और जांच तंत्र को मजबूत करना शामिल है। इसके साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को अप्रमाणित दवाओं से बचाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
भारत में दवा सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौतियाँ
व्यापक और कुशल निगरानी की आवश्यकता
भारत में दवा की गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। देश में दवाओं की विशाल विविधता, आपूर्ति श्रृंखला की जटिलता और कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन की कमी, इस चुनौती को और बढ़ा देते हैं। व्यापक और प्रभावी निगरानी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जो जल्दी से घटिया और नकली दवाओं का पता लगा सके और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित कर सके।
ग्राहक जागरूकता और शिक्षा का महत्व
दवाओं के सुरक्षित उपयोग के लिए ग्राहक जागरूकता महत्वपूर्ण है। लोगों को विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाएँ खरीदने और उनकी गुणवत्ता जाँच करने के तरीकों के बारे में पता होना चाहिए। सरकार को इस संबंध में जागरूकता अभियान चलाने चाहिए जिससे लोग नकली या घटिया दवाओं के खतरों को समझ सकें।
निष्कर्ष
भारत में दवा नियामक व्यवस्था को और मजबूत करने और बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। यह न केवल कड़े नियमों और बेहतर निगरानी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्राहक जागरूकता और स्वास्थ्य अधिकारियों, निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच बेहतर समन्वय का भी काम है। इससे नागरिकों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्राप्त हो सकेंगी और भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरेगी।
मुख्य बातें:
- CDSCO हर महीने हजारों दवा नमूनों का परीक्षण करता है।
- हाल ही में, 45 दवाओं को गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करने के कारण वापस बुलाया गया है।
- केवल पाँच दवाएँ ही पूरी तरह से नकली पाई गई हैं।
- CDSCO आपूर्ति श्रृंखला का पता लगाता है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
- दवा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्राहक जागरूकता और कड़े नियमों की आवश्यकता है।