चेन्नई में पल्स पोलियो अभियान की सफलता और चुनौतियाँ
चेन्नई सहित तमिलनाडु में हाल ही में हुए तीव्र पल्स पोलियो टीकाकरण (IPPI) अभियान के परिणाम मिश्रित रहे हैं। राज्य ने कुल मिलाकर उच्च ओरेल पोलियो वैक्सीन (OPV) कवरेज दर्ज किया है, लेकिन चेन्नई शहर में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के टीकाकरण में कमियाँ उजागर हुई हैं। यह चिंता का विषय है और इसके पीछे के कारणों को समझना और सुधारात्मक कदम उठाना आवश्यक है।
चेन्नई में निम्न टीकाकरण दर: एक गहन विश्लेषण
तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय द्वारा किए गए एक त्वरित आकलन से पता चला है कि मार्च 2024 में हुए IPPI अभियान में चेन्नई में लगभग 21% बच्चे बिना टीकाकरण के रहे। यह राज्य के अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है। यह तथ्य यह दर्शाता है कि शहरी क्षेत्रों में भी टीकाकरण कवरेज में अंतर मौजूद हैं और लक्षित सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता है।
आँकड़ों का विस्तृत विश्लेषण
1,200 माताओं के एक नमूने पर किए गए एक टेलीफोनिक सर्वेक्षण से पता चला कि 101 (8.6%) बच्चों को OPV नहीं दिया गया था, जिनमें से 21% चेन्नई से थे। बच्चों की बीमारी (30%), राज्य से बाहर रहना (29%), और अभियान के स्थान और तिथि के बारे में जागरूकता की कमी (23%) टीकाकरण न कराने के मुख्य कारण थे। यह दर्शाता है कि बेहतर संचार और टीकाकरण कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जागरूक करने की ज़रुरत है।
शहरी क्षेत्रों में चुनौतियाँ
शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की पहुँच सीमित होती है, खासकर ऊँची इमारतों और उन क्षेत्रों में जहाँ लोग टीकाकरण अभियानों के बारे में अनजान हो सकते हैं। यह एक बड़ी चुनौती है जिससे निपटने के लिए रणनीतिक योजना की आवश्यकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि शहरी क्षेत्रों में लोगों की गतिशीलता अधिक होती है और राज्य के बाहर रहने वालों की संख्या अधिक हो सकती है।
IPPI अभियान की सफलताएँ और कवरेज दर
हालांकि चेन्नई में चुनौतियाँ हैं, लेकिन तमिलनाडु में IPPI अभियान की कुल मिलाकर सफलता भी दिखती है। अभियान में राज्य में 59.20 लाख बच्चों को कवर किया गया, और राज्य के कुल टीकाकरण कवरेज 95.4% था। अभियान के बाद “मोप-अप” दिनों के दौरान अतिरिक्त टीकाकरण के कारण यह कवरेज बढ़ा। आईसीडीएस-आंगनवाड़ी केंद्रों ने टीकाकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह सुझाव देते हैं कि ये केंद्र भविष्य के अभियानों के लिए एक आधार बिंदु के रूप में कार्य कर सकते हैं।
सुधार के लिए उपाय और भविष्य की रणनीतियाँ
चेन्नई और अन्य क्षेत्रों में टीकाकरण कवरेज में अंतर को कम करने के लिए, लक्षित सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों में अभियान की तिथियों और स्थानों के बारे में अधिक प्रभावी संचार शामिल होना चाहिए। इसके अलावा, उन बच्चों के लिए वैकल्पिक प्रावधान किए जाने चाहिए जो अभियान के दौरान बीमार हों या राज्य से बाहर हों। चेन्नई जैसे शहरी क्षेत्रों में, ऊँची इमारतों और पहुँच योग्य न होने वाले क्षेत्रों में टीकाकरण की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होगी। टीकाकरण कर्मचारियों को इन चुनौतियों के बारे में प्रशिक्षित करने और उन्हें प्रभावी रूप से निपटने में मदद करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
भविष्य के लिए रोडमैप
- लक्षित संचार रणनीति: विभिन्न जनसांख्यिकीय समूहों तक पहुंचने के लिए प्रभावी और आसानी से समझ में आने वाले संदेशों के साथ विशिष्ट संचार अभियान।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदाय के नेताओं और सदस्यों को अभियानों में शामिल करके बेहतर पहुँच और जागरूकता सुनिश्चित करना।
- लचीला टीकाकरण सेवाएँ: उन बच्चों को शामिल करने के लिए अतिरिक्त मोप-अप दिन और मोबाइल टीकाकरण क्लीनिक।
- डेटा निगरानी और मूल्यांकन: टीकाकरण कवरेज पर निरंतर निगरानी और मूल्यांकन के आधार पर रणनीतियों में सुधार करने और क्षेत्रीय असमानताओं का पता लगाने।
मुख्य बिन्दु:
- चेन्नई में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण कवरेज राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में कम है।
- बच्चों की बीमारी, राज्य से बाहर रहना और जागरूकता की कमी टीकाकरण न कराने के मुख्य कारण थे।
- शहरी क्षेत्रों में पहुँच की चुनौतियों का समाधान करने के लिए लक्षित आउटरीच कार्यक्रम आवश्यक हैं।
- IPPI अभियान ने कुल मिलाकर उच्च OPV कवरेज दिखाया, लेकिन अंतर को दूर करने के लिए सुधार करने की आवश्यकता है।
- भविष्य के अभियानों के लिए बेहतर संचार, समुदाय की भागीदारी और लचीली टीकाकरण सेवाएँ आवश्यक हैं।