भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई प्रगति और चुनौतियाँ
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है, हालाँकि अभी भी कई चुनौतियाँ बरकरार हैं। कई बीमारियों के उन्मूलन में सफलता मिली है, नई तकनीकों का विकास हो रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन, कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है, जैसे कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच, कुशल चिकित्सकों की कमी, और दवाओं की किफ़ायती उपलब्धता। इस लेख में हम भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
काला-अजार और मलेरिया उन्मूलन की सफलताएँ
काला-अजार उन्मूलन की ओर अग्रसर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानदंडों के अनुसार, भारत ने लगातार दो वर्षों तक काला-अजार के मामलों की संख्या प्रति 10,000 में से एक से कम रखी है। 2023 में 595 मामले और चार मौतें दर्ज की गईं, जबकि इस वर्ष अब तक 339 मामले और एक मौत हुई है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि काला-अजार, मलेरिया के बाद, भारत में दूसरी सबसे घातक परजीवी जनित बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज न होने पर 95% से अधिक मौतें हो जाती हैं। WHO प्रमाणपत्र प्राप्त करने के भारत के प्रयासों से देश में काला-अजार के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता झलकती है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है। इसके लिए प्रभावी निगरानी, उपचार और जागरूकता अभियान की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
मलेरिया मुक्त मिस्र: एक प्रेरणा
मिस्र का मलेरिया मुक्त घोषित होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। WHO ने मिस्र को मलेरिया मुक्त देश घोषित किया है, जो देश के लोगों और सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह 44 देशों और एक क्षेत्र के उस समूह में शामिल हो गया है, जहाँ मलेरिया को खत्म कर दिया गया है। मिस्र की इस सफलता से भारत को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और मलेरिया उन्मूलन के अपने प्रयासों में तेज़ी लानी चाहिए। इसके लिए मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के उपायों पर ध्यान देना, साथ ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण होगा।
स्वास्थ्य तकनीक में नवाचार और चुनौतियाँ
स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीन का विकास
भारत ने क्षय रोग (TB) की जाँच के लिए एक स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीन विकसित की है। IIT कानपुर और ICMR द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह मशीन आयातित मशीनों की तुलना में आधी कीमत पर उपलब्ध होगी। यह मशीन क्षय रोग की शीघ्र पहचान और उपचार में मदद करेगी और इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा। यह विकास भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और क्षय रोग उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होगा। इससे दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी आसानी से जाँच की सुविधा मिल सकेगी।
क्षय रोग उपचार में सुधार के प्रयास
क्षय रोग से लड़ने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने निखाय पोषण योजना (NPY) के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को ₹500 से बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह करने और निदान के समय ₹3,000 की राशि देने की घोषणा की है। यह कदम क्षय रोग के मरीजों को बेहतर पोषण और आर्थिक सहायता प्रदान करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, कम वजन वाले मरीजों को दो महीने के लिए ऊर्जा-सघन पोषण पूरक प्रदान करने और परिवारों को पोषण और सामाजिक सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव है। यह एक स्वागत योग्य कदम है, परंतु इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उचित योजना और निगरानी की आवश्यकता है।
दवा नीति और मरीजों की वकालत
दवाओं की कीमतें नियंत्रित करना और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध
राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य प्राधिकरण (NPPA) ने आठ अनुसूचित दवाओं की अधिकतम खुदरा कीमतों में संशोधन किया है ताकि उनकी उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित की जा सके। यह कदम गरीब आबादी के लिए किफायती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को कम करने के लिए, सरकार नई दवा की परिभाषा में एंटीबायोटिक्स को शामिल करने पर विचार कर रही है। इससे एंटीबायोटिक्स के उत्पादन, विपणन और बिक्री पर बेहतर नियंत्रण होगा, जिससे दुरुपयोग को रोका जा सकेगा और प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विकास को कम किया जा सकेगा।
गौचर रोग के मरीजों के लिए निरंतर उपचार सहायता की मांग
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को एक याचिका भेजकर गौचर रोग से पीड़ित लोगों के लिए सतत उपचार सहायता की मांग की है। याचिका में अधिक मरीजों को शामिल करने और प्रत्येक मरीज के लिए धन की मात्रा बढ़ाने जैसे कई क्षेत्रों में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। यह दर्शाता है कि मरीजों की वकालत और उनकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करना कितना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कई चुनौतियाँ अभी भी बरकरार हैं। काला-अजार और मलेरिया जैसे रोगों के उन्मूलन में सफलता, स्वदेशी स्वास्थ्य तकनीकों का विकास, और दवा नीतियों में सुधार सकारात्मक पहलू हैं। हालांकि, क्षय रोग से निपटने के लिए बेहतर प्रयासों, किफायती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने, और मरीजों की वकालत पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। सतत प्रयासों और समग्र दृष्टिकोण से ही भारत अपनी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान कर सकता है और अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कर सकता है।
मुख्य बिन्दु:
- काला-अजार और मलेरिया के उन्मूलन में भारत की प्रगति।
- क्षय रोग की जाँच के लिए स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीन का विकास।
- क्षय रोग उपचार में सुधार के लिए सरकारी पहल।
- दवा नीति में सुधार और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को कम करने के प्रयास।
- गौचर रोग के मरीजों के लिए निरंतर उपचार सहायता की आवश्यकता।