इस विवाह को कहा जाता है असुर विवाह, जानें भारत में सबसे अधिक होता है कौन सा विवाह?

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इस विवाह को कहा जाता है असुर विवाह, जानें भारत में सबसे अधिक होता है कौन सा विवाह?

इस विवाह को कहा जाता है असुर विवाह, जानें भारत में सबसे अधिक होता है कौन सा विवाह?


Lifestyle - विवाह दो लोगों के आपसी जुड़ाव का सूत्र माना जाता है। कहते हैं विवाह करने दो लोग न सिर्फ एक साथ अपना जीवन व्यतीत करते हैं। बल्कि विवाह के बाद दो लोग एक दूसरे के साथ अपनी आदतों को भी साझा करते हैं।

वैसे तो विवाह जीवन का सबसे बड़ा निर्णय है। लेकिन कामसूत्र ग्रंथ में विवाह को लेकर बड़े खुलासे किए गए हैं। आचार्य वात्सायन ने विवाह को लेकर कहा है यह सुख भी है यह दुख भी है। इसमें जीवन भी है और यह झंझट भी है। आप विवाह को किस तरह से चुनते हैं यह आपपर निर्भर करता है। लेकिन मनुष्य को विवाह जरूर करना चाहिए।
कामसूत्र ग्रन्थ में विवाह के तीन दिव्य योग बताए गए हैं।यह दिव्य योग समाज के आधार पर बनें हैं। 

गान्धर्व विवाह-

अगर कोई स्त्री या पुरुष अपनी इच्छा से एक दूसरे के साथ आते हैं। विवाह करते हैं तो यह विवाह गान्धर्व विवाह है। आचार्य वात्स्यायन के मुताबिक यह विवाह का सुंदर रूप है। इसमें युवक-युवती सुख का अनुभव करते हैं।

असुर विवाह- 

अगर कोई युवक और युवती अपनी पसन्द से विवाह नहीं करता। उसके विवाह के लिए माता-पिता को धन खर्च करना पड़ता है। पैसा देकर कोई युवक किसी से विवाह कर ले। यह विवाह असुर विवाह कहलाता है। जो भी विवाह धन के लेन देन पर आधारित हैं वह सभी इस श्रेणी में आते हैं।

राक्षस/पिशाच विवाह-

अगर कोई युवक-युवती धन देकर विवाह नहीं कर पाते। परिजन उनका विवाह नहीं करवाते हैं और वह एक दूसरे का अपहरण करके विवाह करते हैं। तो यह विवाह राक्षस विवाह की श्रेणी में आता है।

जानें कौन सा विवाह है सबसे उत्तम- 

आचार्य वात्स्यायन के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपनी पसन्द के व्यक्ति के साथ विवाह करता है। युवक-युवती दोनों की विवाह में रजामंदी होती है। दोनो खुशी के साथ एक दूसरे को अपनाते हैं। विवाह में धन का लेन देन नहीं होता है। तो यह विवाह सबसे उत्तम विवाह कहलाता है और इसे सामाजिक दिव्य विवाह में गान्धर्व विवाह कहा जाता है।
गान्धर्व विवाह सुख का प्रतीक होता है। इस विवाह में समर्पण का भाव होता है। स्त्री पुरूष को विवाह से पूर्व एक दूसरे को समझे का मौका मिलता है।

भारत में होते हैं गान्धर्व विवाह का इतिहास-

आचार्य वात्स्यायन ने कहा है गान्धर्व विवाह बेहद पुराना है। भारत में इसकी लोकप्रियता वर्षों से रही है। पुराने समय मे राजा महाराजा स्वयंवर का आयोजन करते थे और अपनी पसन्द के वर के साथ स्त्री विवाह करती थी। यह भी गान्धर्व विवाह की परिधि में आता है। लेकिन इसके बाद अग्नि को साक्षी मानकर विवाह संपन्न करवाये जाने लगे जो काफी लोकप्रिय हुई।
वहीं आज भारत मे प्रेम विवाह का प्रचलन बढ़ रहा है। यह गान्धर्व विवाह का सर्वोच्च उदाहरण है। अगर कोई प्रेम विवाह करता है तो वह अपने जीवन मे अन्य विवाह की तुलना में अधिक सुखी रहता है। वहीं इस विवाह में धन का लेन देन नहीं होता है।

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