त्यौहारों में बाजार की रौनक की बात ही कुछ और होती है। चाहे कपड़े हों या फिर फर्नीचर, त्यौहारों के समय इन सबकी शॉपिंग होती है। कई बार फेस्टिव मूड में हम ऐसी चीजें भी खरीदते जाते हैं, जिनकी हमे कोई खास जरूरत नहीं है। हालांकि, आप कई ऐसे लोगों को भी जानते होंगे जिन्हें शॉपिंग करने के लिए त्यौहारों का इंतजार नहीं करना पड़ता है। उनका जब मन करता है तब शॉपिंग पर निकल जाते हैं। आपको बता दें शॉपिंग की लत भी एक बीमारी है। इंग्लैंड के एक हेल्थकेयर ग्रुप ने ज्यादा शॉपिंग करने को उन बीमारियों की लिस्ट में शामिल किया है जिसके इलाज की जरूरत है।
ज्यादा शॉपिंग करने को एक डिसॉर्डर माना गया है। मेडिकल टर्म में इसे कंपल्सिव बाइंग डिसॉर्डर या ओनियोमेनिया कहा जाता है। कई लोग इस डिसॉर्डर का शिकार होते हैं लेकिन बहुत कम लोग इसे पहचानकर इसका इलाज कर पाते हैं। 2015 के रिव्यू के अनुसार विकासशील देशों में हर बीस में से एक व्यक्ति इस बीमारी का शिकार है।
क्या हैं नुकसान
शॉपिंग अडिक्शन के कारण जिंदगी पर बुरा असर पड़ता है। लोगों का निजी जीवन इससे प्रभावित होता है और कपल्स के बीच दरार आ सकती है। शॉपिंग की लत के कारण आप कर्ज ने भी आ सकते हैं जो धीरे-धीरे अवसाद का रूप ले लेता है। सही काउंसेलिंग और थेरपी के जरिए यह लत छुड़ाई जा सकती है।
ऐसे बचें
शॉपिंग अडिक्शन से बचने के लिए आपको इसके बारे में आपको यह समझना चाहिए कि किस वजह से आपको शॉपिंग का मन करता है। जैसे, अगर आप तनाव से बचने के लिए शॉपिंग करते हैं तो आपको तनाव का करण समझना चाहिए। खर्च के लिए प्लान बनाएं और इस प्लान पर डटे रहें। अपनी जगह घर के किसी और को सामान लेने भेजें।