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ब्लड कैंसर मायलोमा के मरीज को किया ठीक 
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लखनऊ। के.जी.एम.यू. के हेमेटोलाॅजी विभाग में प्रथम बार ब्लड कैंसर मायलोमा के मरीज में हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल का सफल ट्रांसप्लांट क्लिनिकल हेमोटोलाॅजी विभाग, के.जी.एम.यू. की एक प्रमुख उपलब्धियों में से एक है, इससे विभाग में रक्त कैंसर के मरीजो के उपचार में एक नया आयाम हासिल किया जा सकेगा।
प्रो. ए.के. त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, हेमेटोलाॅजी विभाग, के.जी.एम.यू. ने बुधवार को बताया कि अब इससे गरीब से गरीब मरीजो को अच्छा से अच्छा इलाज प्रदान करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। प्रो0 त्रिपाठी द्वारा यह भी बताया गया कि उपरोक्त सेल प्रत्यारोपण में चिकित्सकों के दल में प्रो. ए.के. त्रिपाठी, डाॅ. एस.पी. वर्मा, नैदानिक हेमेटोलाॅजी विभाग, डाॅ0 रश्मि कुशवाहा एवं डाॅ. गीता यादव, पैथोलाॅजी विभाग, डाॅ. तुलिका चंद्रा, विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग एवं डाॅ. प्रशांत, माइक्रोबायोलाॅजी विभाग शामिल थे।
इस उपलब्धि के लिए चिकित्सा विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट द्वारा डाॅ. ए.के. त्रिपाठी और उनकी टीम को इस सराहनीय कार्य के लिए बधाई दी गई। उन्होने ने कहा कि हेमेटोलाॅजी विभाग एक-एक करके कई सारी उपलब्धियों को हासिल करता जा रहा है तथा आम लोगों को विश्वस्तरीय उपचार प्रदान करने लिए आगे बढ़ रहा है।
मरीज पन्ने लाल उम्र 38 वर्ष को डेढ़ वर्ष पूर्व गंभीर प्रकार रक्त कैंसर मायलोमा का पता चला था। शुरूआती उपचार में मरीज को लाभ मिला किन्तु एक वर्ष के अन्दर मरीज के स्वास्थ्य में पतन दिखाई देने लगा। इस स्थिति मे मरीज को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (आॅटोलाॅगस एससीटी)  द्वारा पुनः उपचार देने की योजना बनाई गई। मरीज बहुत गरीब है अतः विभाग द्वारा असाध्य रोग योजना  के अंतर्गत दवाएं, किट्स एवं अन्य समान उपलब्ध कराया गया।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया 13 मार्च को प्रारम्भ हुई और स्टेम सेल 14 मार्च को मरीज को चढ़या गया। मरीज को ट्रांसप्लांट वार्ड के एक विशेष विसंक्रमित कमरे में शिफ्ट कर उपरोक्त प्रक्रिया की गई। मरीज का ब्लड काउंट कुछ दिनों तक धिर-धिरे कम हेता रहा और उसको हल्का बुखार एवं दस्त की भी समस्या रही।
उसके पश्चात मरीज को हिमैटोपोटिक ग्रोथ फैक्टर एवं ब्राड स्पेक्ट्रम एंटी बायोटिक ट्रिटमेंट पर डाला गया उसके पश्चात मरीज में 10 दिन के अंदर ब्लड काउंट बढ़ने लगा। मरीज में अब नार्मल ब्लड काउंट है और वह पूर्णतः एसिम्प्टोमैटिक है। मरीज को दो दिनों मे अस्पताल से छुट्टी मील जाएगी।
डाॅ. ए.के.त्रिपाठी द्वारा अधिक जन शक्ति और बुनियादी ढांचे के उन्नयन की मांग की गई है ताकि प्रत्यारोपण इकाई को पूरी क्षमता में चालाया जा सके और स्टेम सेल ट्रांसप्लांटको उन लोगों के लिए उपलब्ध करया जा सके जिनको इसकी आवश्यकता है। अंततः भविष्य में विभाग द्वारा ऐप्लाॅस्टिक एनीमिया और थैलेसीमिया के रोगियों के उपचार के लिए एलोजेनिक हेमटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांस्प्लांटेशन की योजना पर कार्य किया जा रहा है।