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व्रत के अलग-अलग नियम
व्रत करने के लिए हर किसी के अलग नियम होते हैं जैसे नवरात्र व्रत के दौरान कई लोग चाय और कॉफी पीते हैं लेकिन पैकेज्ड ड्रिंक नहीं लेते। वहीं कुछ लोग 9 दिन तक सिर्फ पानी पीकर व्रत रहते हैं।
ऋतुएं बदलने पर व्रत का महत्व
भारत में ज्यादातर व्रत जैसे सावन और नवरात्र में व्रत का काफी महत्व होता है कि क्योंकि ये ऋतुएं बदलने के हिसाब से होते हैं। इन्हीं मौसमों में शरीर बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शंस के लिए सेंसिटिव होता है। इस दौरान हाई साल्ट, शुगर, ऑइल और पैकेज्ड फूड खाना मना होता है क्योंकि ये नुकसान करते हैं। इसके साथ ही ड्रिंकिंग और स्मोकिंग पर भी प्रतिबंध होता है।
पानी है जरूरी
व्रत के दौरान ऐसे फूड्स ही लिए जाते हैं जो भूख को कंट्रोल करें और मेटाबॉलिजम बढ़ाएं। ज्यादातर लोग सिंपल डायट लेते हैं जिसमें सब्जियां और फल वगैरह शामिल होते हैं। व्रत के दौरान पानी का रोल काफी अहम होता है। इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए नारियल पानी या दूसरे ड्रिंक्स भी लेने चाहिए। आगे स्लाइड्स में जानें क्या होता है चाय और कॉफी का असर…
हो सकती है बेचैनी
अगर वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो व्रत के दौरान कॉफी और चाय पीने के भी अलग कॉन्सेप्ट हैं। कॉफी और चाय दोनों में कैफीन होता है जिन्हें सीमित मात्रा में लिया जाए तो सिस्टम के लिए ठीक होते हैं लेकिन ओवरडोज नुकसान कर सकती है। ज्यादा कैफीन से नींद न आने की समस्या, ऐंग्जाइटी और डिप्रेशन तक हो सकता है। वहीं शुगर से ब्लड ग्लोकोज लेवल बढ़ता है, वजन बढ़ता है और दिल के लिए भी बुरा होता है।