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अगर आपके परिवार में किसी को खर्राटे की समस्या हो तो इसे हल्के में न लें क्योंकि इससे व्यक्ति की स्मरण-शक्ति कमजोर हो सकती है। ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया यानी खर्राटे की समस्या के बारे में हाल ही में कनाडा स्थित टोरंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक व्यक्ति के मस्तिष्क से इस समस्या का गहरा संबंध है और इसकी वजह से सोचने की क्षमता और याददाश्त भी प्रभावित होती है। ऐसी समस्या होने पर नींद में व्यक्ति की सांस लेने की प्रक्रिया में थोड़ी खलल पैदा होती है, जिससे खर्राटे की आवाज सुनाई देती है।

प्रमुख शोधकर्ता मार्क बुलोस के मुताबिक, मस्तिष्क के लिए अच्छी नींद फायदेमंद होती है और इससे याददाश्त मजबूत होती है। हमने अपने अध्ययन में यह पाया कि भूलने की समस्या से जूझ रहे आधे से अधिक लोग ऑब्स्ट्रेक्टिव स्लीप एप्निया से पीड़ित थे। जिन्हें खर्राटे लेने की समस्या थी, याददाश्त संबंधी टेस्ट में उन्हें सबसे कम अंक मिले थे। इन प्रतिभागियों से नींद और मूड पर आधारित एक प्रश्नावली भरवाई गई थी। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में शामिल किए गए इन प्रतिभागियों में से 52 प्रतिशत लोगों को ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया से पीड़ित पाया। अतः ऐसी समस्या हो तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें।सोते समय खर्राटों की वजह से सांस लेने में प्रॉब्लम होती है। कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि व्यक्ति बेचैनी और घुटन की वजह से घबराकर उठ जाता है। और ये समस्या ऑक्सीजन की कमी के कारण होती है। आपने खुद भी महसूस किया होगा कि सही नींद न होने पर मूड तो खराब होता ही है साथ ही किसी काम में मन भी नहीं लगता।

डॉक्टर की राय

यह शोध बिल्कुल सही है, खर्राटा लेने वाले लोगों की नींद बाधित होती है। स्मृतियों को सुरक्षित रखने के लिए गहरी नींद जरूरी है, लेकिन ऐसी समस्या से पीड़ित लोगों को अच्छी नींद नहीं मिलती, जिससे उनकी स्मरण शक्ति घटने लगती है।

(डॉ. रजनीश कुमार, न्यूरोलॉजिस्ट, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)