ज्यादातर लोग वर्कआउट के बाद अक्सर ज्वॉइंट पेन की शिकायत करते हैं जो दरअसल गलत तरीके से वर्कआउट करने के साथ ही आपकी कुछ गलत आदतों की ओर भी इशारा करता है। तो आइए जानते हैं इन कॉमन मिस्टेक्स के बारे में…
गलत जूते पहनना
रनिंग, वॉक और जॉगिंग के लिए ही नहीं, वर्कआउट के दौरान पहना जाने वाला शूज़ भी कंफर्टेबल होना चाहिए। अनकंफर्टेबल जूते न सिर्फ आपके पैरों और एड़ियों को, बल्कि घुटनों और कूल्हों पर भी असर डालते हैं। वर्कआउट शूज़ की शॉपिंग करते वक्त ध्यान दें कि आप किस तरह ऐक्टिविटीज़ करते हैं और कितने सपोर्ट की जरूरत है, जिससे एक्सरसाइज़ करते समय जॉइन्ट्स सही-सलामत रहें।
एक्सरसाइज़ में वैराइटी लाएं
कंफर्ट के हिसाब से रोजाना या वीकली वर्कआउट को चेंज करते रहें। जिसमें शरीर की सभी अंगों का वर्कआउट शामिल हो। इससे जोड़ों पर पड़नेवाला दबाव और दर्द दोनों कम होगा। बॉडी शेप और मोटापे को ध्यान में रखते हुए हाई और लो इम्पैक्ट, दोनों तरह के वर्कआउट को शामिल करें। स्विमिंग बहुत ही अच्छी एक्सरसाइज होती है जिससे जोड़ों पर दबाव नहीं पड़ता। कुछ प्रशिक्षित व्यक्ति की निगरानी में ही वर्कआउट करें।
वर्कआउट के पहले और बाद में रखें इन बातों का ध्यान
अगर आप आर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे हैं तो पहला डॉक्टर की सलाह ले लें और इसके साथ ही हैं नॉर्मल से थोड़ा ज्यादा देर तक वार्मअप करें, जिससे आपके जॉइन्ट्स लुब्रिकेटिंग फ्लूइड प्रोड्यूस करना शुरू कर दें इससे मूवमेंट करना आसान हो जाएगा। बिना वॉर्मअप के मसल्स, लीगामेंट्स और जॉइन्ट्स पर बहुत दबाव पड़ताहै जिससे चोट लगने का ख़तरा बढ़ जाता है। वार्मअप करने से शरीर का तापमान और ब्लड फ़्लो बढ़ जाता है, जिससे मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं और जॉइन्ट्स में लुब्रिकेशन बढ़ जाता है। किसी भी तरह के व्यायाम को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए प्रॉपर वार्मअप और वर्कआउट के बाद कूल डाउन रूटीन बहुत ज़रूरी है।