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गोरखपुर। कैंट क्षेत्र निवासी एक युवक को कोरोना का संक्रमण होने के बाद बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। सांस लेने में दिक्कत के बाद कई दिनों तक आक्सीजन सपोर्ट देना पड़ा था। कोरोना से जंग जीतकर युवक घर पहुंच गया है लेकिन दिमाग कमजोर हो गया है। यहां तक कि मोबाइल और एटीएम का पासवर्ड भी भूल जा रहा है।

कोरोना से पीडि़त होने के बाद ज्यादा समय तक आक्सीजन लेने वाले युवाओं का दिमाग साथ छोड़ रहा है। मोबाइल व एटीएम के पासवर्ड भी युवा भूल जा रहे हैं। ज्यादा दिन तक आक्सीजन पर रहने के कारण शरीर की क्षमता पर भी असर पड़ा है।

दिमाग की नसों में मिल रहा खून का थक्का

कोरोना ने दिमाग की नसों पर भी बहुत असर डाला है। गंभीर हालत में पहुंचे कई मरीजों के दिमाग की नसों में खून का थक्का जमा हो गया है। डाक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में लंबे समय तक इलाज चलता है।

हाथ-पैर में भी आ रही कमजोरी

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के न्यूरोलाजिस्ट डा. अजय यादव कहते हैं कि कोरोना के कारण न्यूरोपैथिक दर्द के मामले बढ़ गए हैं। इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, सूजन या मांसपेशियों में कमजोरी आती है। ओपीडी में कोरोना से ठीक हुए ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनके हाथ-पैर में कमजोरी की शिकायत रहती है। कई मामलों में भूलने की शिकायत भी आ रही है।

डिप्रेशन, घबराहट के मरीज बढ़े

कोरोना से जंग जीत चुके ज्यादातर लोग खांसी-बुखार होने पर भी घबरा जा रहे हैं। उनको लगता है कि उन्हें फिर कोरोना हो गया है। फिजिशियन की जांच से भी यह लोग संतुष्ट नहीं हो रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या मानसिक रोग के डाक्टरों की ओपीडी में बढ़ गई है। मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. गोपाल अग्रवाल बताते हैं कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में बीमारी को लेकर डर पैदा हो गया है। हल्की सी खांसी को भी वह कोरोना की शुरुआत मान ले रहे हैं। ऐसे लोगों का दवाओं व काउंसलिंग से उपचार किया जा रहा है।