img

[object Promise]

अगर आप स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो युवावस्था से ही आपको अपने खानपान और जीवनशैली को संतुलित रखना होगा। 18 साल की आयु के बाद उम्र के अनुसार आपके आहार में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। हमारा मेटाबॉलिज्म भी उम्र के साथ घटता जाता है और पोषक तत्वों की जरूरतें भी बदलती रहती हैं।

हमारा भोजन प्रमुख पोषक तत्वों की दैनिक जरूरतों को पूरा करे, जिससे हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बना रहे, हड्डियां और मांसपेशियां नुकसान से बची रहें, आंखों की रोशनी सुरक्षित रहे और हमारी कोशिकाएं फ्रीरेडिकल्स की क्षति से बची रहें। आइए जानते हैं कि आपका खानपान उम्र के मुताबिक कैसा होना चाहिए..

20 से 30 साल तक

यह जीवन का बहुत महत्वपूर्ण और चुनौती भरा समय होता है। जब अनेक लोग अपनी पहली नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं और कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे होते हैं। वहीं कुछ लोग अपने व्यक्तिगत संबंधों को कायम करने में लगे होते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना स्वाभाविक है। शोध से यह भी पता चला है कि इस उम्र के लोगों के भोजन में मुख्यत: प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी होती होती है। इस समय के दौरान आपकी हड्डियों का घनत्व बन रहा होता है। इसी वजह से कैल्शियम आहार का महत्वपूर्ण भाग होना चाहिए। बींस हरी पत्तेदार सब्जियां और और फली आदि भी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।

फोलेट का महत्व: यह डीएनए को बनाने और इसे दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है। पुरुषों और महिलाओं को प्रतिदिन 0.4 मिलीग्राम फोलेट की जरूरत पड़ती है।

इन्हें जरूरी है बी विटामिन: जो महिलाएं गर्भवती होना चाहती हों, उन्हें बी विटामिन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उन्हें दलिया पालक, ब्रोकोली, बींस और दालों को अपने आहार में वरीयता देनी चाहिए। प्रसव उम्र की महिलाओं को एक मल्टी विटामिन भी लेना चाहिए जो 04 से 1 मिलीग्राम फोलिक एसिड की आपूर्ति करे।

आयरन आवश्यक: यह अच्छे मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी है। मांसपेशियों में ऑक्सीजन को स्थानांतरित करना आयरन का एक प्रमुख कार्य है। इसके अलावा आयरन शरीर में रक्त को बढ़ाता है और हार्मोन को संतुलित रखता है। आयरन की कमी से थकान महसूस होती है। दाल, सोयाबीन, किशमिश और पालक आयरन के अच्छे स्रोत हैं। 30 साल की उम्र से मांसपेशियों में उम्र से संबंधित क्षति की शुरुआत होने लगती है और मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है। इस वजह से कैलोरी की आवश्यकता कम होने लगती है। अगर हम 30 या 40 में 20 के दशक जैसा खाने का पैटर्न रखें तो वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।

30 से 40 के दौरान

इस उम्र के मध्य अत्यधिक चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ, नमक, मिठाई, मीठे पेय पदार्थ अत्यधिक वसा और बहुत ज्यादा कैलोरी वाली वस्तुओं को कभी कभार लेना चाहिए। फाइबर युक्त भोजन लें। सब्जियों में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। खाद्य पदार्थों में ऊपर से नमक न डालें। प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। प्रतिदिन 50 से 60 ग्राम प्रोटीन लें। अधिक वसा, मैदा, मीठा और ज्यादा नमकीन खाद्य पदार्थ खाने से आगे चलकर अनेक शारीरिक समस्याएं-जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाजमे से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शोध से यह बात भी प्रमाणित होती है कि 5 से 10 प्रतिशत वजन कम करके डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। इस उम्र में एंटीऑक्सीडेंट का भी बहुत महत्व है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। जैसे टमाटर, पपीता, संतरा, चेरी और स्ट्राबेरी आदि।

40 से 50 के मध्य

इस दौरान अधिकतर लोगों में वजन बढ़ने से हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। अपने वजन को संतुलित रखने के लिए और हड्डियों को मजबूत रखने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें। इस समय के दौरान भोजन की मात्रा को कम करके उसकी गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दें। तला हुआ खाना और ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना कम करें। भोजन समय से करें। अगर शराब या सिगरेट का सेवन करते हैं, तो इन लतों को बंद कर दें। खाने में तेल और नमक का इस्तेमाल कम से कम करें।