डायबीटीज यानी मधुमेह जिसे साधारण शब्दों में शुगर की बीमारी भी कहा जाता है से आज की तारीख में हर आयु वर्ग के लोग डरने लगे हैं। पहले जहां इसे बुजुर्गों में होने वाली बीमारी माना जाता था वहीं आज के समय में 10-15 साल के बच्चों को भी डायबीटीज हो रहा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पहले जहां रोज मधुमेह के 35-40 मरीज आते थे, वहीं अब रोज 50 मरीज आते हैं।
लाइफस्टाइल में करें जरूरी बदलाव
इन सबके बीच डॉक्टरों का कहना है कि अगर इंसान थोड़ा परहेज करे व सावधानी बरते, अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करे तो डायबीटीज से बचा जा सकता है। बी के अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. मोहित ने बताया कि करेला व नीम जैसी कड़वी चीजें शुगर और फैट को नियंत्रण में रखने में सहायक होती हैं। शारीरिक मेहनत न करने और तनाव के कारण लोग मोटापे का शिकार होते हैं, फिर मधुमेह होने लगता है। जीवनशैली में बदलाव कर बीमारी पर काबू पा सकते हैं।
मोटापा बढ़ना खतरनाक
एमएनसी में जॉब करने वाला एक युवक (25) को मोटापे की शिकायत हो गई। वह सेक्टर-8 सर्वोदय अस्पताल में जांच कराने के लिए आया। जांच में पता चला कि उसको डायबिटीज हुई है, जबकि उसके घर में किसी को भी यह बीमारी नहीं है। डॉक्टर ने बताया कि एकाएक मोटापा बढ़ना भी डायबिटीज का मुख्य लक्षण है।
बंद न करें दवाइयां
क्यूआरजी हेल्थ सिटी हॉस्पिटल की इंटरनल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुंदरी श्रीकांत ने बताया कि डायबीटीज की बीमारी एक दीमक की तरह है, जो बाहर से दिखाई नहीं देती है, लेकिन अंदर ही अंदर सारे शरीर को खत्म कर देती है। इस बीमारी के प्रति लोग ज्यादा गंभीर नहीं दिखाई देते हैं। दवाइयां भी कुछ समय बाद अपनी मर्जी से बंद कर देते हैं। इससे भी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
अंधापन-किडनी पर असर
डायबीटीज अन्य बीमारियों को भी न्योता देती है। इसका सबसे ज्यादा असर किडनी पर पड़ता है। डायबीटीज के चलते लोग अंधे हो जाते हैं, गैंगरीन हो जाता है और हार्ट अटैक की ज्यादातर गंभीर बीमारियां भी डायबीटीज के कारण होती हैं। टाइप-2 डायबीटीज सबसे आम समस्या है। यह आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद होती है, लेकिन आज यह बीमारी 20 और 30 साल के लोगों में देखने को मिल रही है।