सूत्रों की मानें तो न्यूरॉलजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहे मरीजों के लिए जल्द ही अपनी बीमारी का सही-सही इलाज पाना संभव हो सकेगा क्योंकि उन्हें अपनी बीमारी डॉक्टर को बतानी नहीं पड़ेगी बल्कि दिखानी होगी…जी हां, मानसिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को अक्सर इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है, जब वे अपनी समस्या के बारे में चाहकर भी डॉक्टर को सही तरीके से नहीं बता पाते। क्योंकि उन्हें खुद ही पता नहीं होता कि उनके साथ हो क्या रहा है।
खास बात यह है कि अब अपनी बीमारी के बारे में बताने के लिए उन्हें खुद डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी बल्कि घर बैठे अपनी बीमारी और स्ट्रोक टाइम का विडियो डॉक्टर को भेजकर वे कहीं से अपनी बीमारी और इलाज के बारे में सही जानकारी पा सकेंगे। इस खबर से उन लोगों को खास खुशी मिल रही है, जो टेक्नॉलजी के शौकीन हैं और अपनों का इलाज अपनी पसंद के डॉक्टर से कराना चाहते हैं लेकिन दूरी की वजह से इलाज नहीं करा पा रहे हैं। यह स्टडी डॉक्टर हरदीप और उनके सहयोगियों द्वारा CCBN-यूनिवर्सिटी लेथब्रिज, अलबर्टा, कनाडा में की गई।
इस स्टडी को ओपन ऐक्सेस जर्नल PLOS Biology में प्रकाशित किया गया। स्टडी में कहा गया है कि शोध के बाद हमें उम्मीद जगी है कि एक दिन ऐसा कर पाना जरूर संभव होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि आर्टिफिशल न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल अभी कार ड्राइविंग, सर्विलांस और ट्रैफिक मॉनिटरिंग में किया जा रहा है। इसी से प्रभावित होकर हमने मेडिकल फील्ड में इसके उपयोग के बारे में विचार किया। यह तकनीक न्यूरॉलजिस्ट को कॉम्प्लैक्स विहेवियर वाले मरीजों के केस सुलझाने में मदद करेगी।