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आज चैत्र मास का शुक्र प्रदोष व्रत है। प्रदोष के दिन व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती है। एक मास में दो प्रदोष व्रत आते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। आज का प्रदोष व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष का है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको बता रहे हैं कि भगवान शिव की पूजा कैसे करें और पूजा का मुहूर्त क्या है।

शुक्र प्रदोष पूजा मुहूर्त

आज आपको भगवान शिव की पूजा करने के लिए प्रदोष काल में 02 घंटे 16 मिनट का समय मिलेगा। आज आप शाम को 06 बजकर 43 मिनट से रात 08 बजकर 59 मिनट के मध्य कभी भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ आज प्रात: 03 बजकर 15 मिनट से हुआ है। इसका समापन 10 अप्रैल को प्रात: 04 बजकर 27 मिनट पर होगा।

प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए आवश्यक सामग्री में 5 प्रकार के मौसमी फल, दही, घी, गुड़, शक्कर, गन्ने का रस, गाय का दूध, शहद, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, गुलाल, अबीर, धतूरा, भांग, मदार, जनेऊ, कलावा, कपूर, अगरबत्ती, दीपक आदि होते हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

जो लोग आज शुक्र प्रदोष का व्रत हैं या जिनको प्रदोष व्रत की पूजा करनी है, वे प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करेंगे। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले के समय को कहा जाता है। सबसे पहले शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें या फिर घर पर ही शिवलिंग का जलाभिषेक करें। इसके बाद भगवान ​शिव को चंदन तिलक लगाएं। उनको अक्षत्, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, फल, पुष्प, शहद समेत सभी सामग्री अर्पित कर दें। अर्पण के समय ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें। अब शिव चालीसा का पाठ करें। उसके बाद घी के दीपक या कपूर से शिव जी की आरती करें। माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित कर दें। पूजा के समय आप शिव जी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

शिव जी की आरती के बाद प्रदोष व्रत की पूजा सम्पन्न हो जाती है। बाद में आप भी पारण करके व्रत को पूरा कर लें। शिव जी की कृपा से सभी कष्ट मिट जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।