दोबारा संक्रमण न हो जाए या परिवार में किसी को अचानक प्लाज्मा की जरूरत न पड़ जाए, इस डर से डोनर आगे नहीं आ रहे हैं। इस सोच के चलते ठीक हुए मरीज प्लाज्मा देने से बच रहे हैँ। वहीं अस्पतालों के पास भी प्लाज्मा नहीं हैं।
हालात यह हैं कि किसी मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है तो उसके तीमारदार डोनर और ठीक हुए मरीजों की लंबी लिस्ट खंगालते हैं। डोनर नहीं मिलता। जो मिलता है, वह शहर का नहीं होता। वो दूसरे शहर में जाने को राजी नहीं होता। किसी की उम्र कम होती है तो कोई अन्य बीमारियों से ग्रसित मिलता है। सही समय पर सही समूह का प्लाज्मा दस में से दो या तीन मरीजों को ही मिल पा रहा है।
प्लाज्मा देने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ नियम तय किए हैं। इन नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति ही प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
– जो लोग कोरोना संक्रमण से उबर चुके हैं, वे ठीक होने के 28 से 30 दिन के भीतर अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
– प्लाज्मा दान करने वाले व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आरटीपीसीआर टेस्ट से होनी चाहिए। उसकी मूल कॉपी और आधार कार्ड की कॉपी भी अस्पताल में साथ लेकर जानी होगी
– जिस व्यक्ति की उम्र 18 से अधिक और 60 साल तक की है, ऐसे लोग प्लाज्मा दे सकते हैं
– 50 किग्रा वजन है तो शारीरिक रूप से स्वस्थ इंसान भी प्लाज्मा दे सकता है
– अगर बुखार, खांसी, सर्दी, जुकाम के लक्षण हैं तो वह प्लाज्मा दे सकते हैं। ऐसे लोगों में एसिम्प्टोमेट्रिक रोगी की तुलना में एंटीबॉडी रखने की अधिक क्षमता होती है।