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हर इंसान को अपने बच्चों की परवाह होती है और वे उनके लिए ओवर प्रटेक्टिव हो जाते हैं। इस वजह से हम उनके रास्ते से सारी परेशानियां हटाने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हर बच्चा इस दुनिया में अपनी इंडिविजुऐलिटी लेकर आता है और वह आपका इन्वेस्टमेंट नहीं। जब तक बच्चे छोटे हैं उनकी हर जरूरत पूरी करना आपकी जिम्मेदारी है, इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें ही सारे चैलेंजज फेस करने हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा हर परिस्थिति में खुद को ढाल पाए तो आपको उनसे कुछ बातें नहीं कहनी चाहिए…
यह तो बहुत आसान
कई बार बच्चों के सामने कोई चैलेंजिंग चीज होती है। पैरंट्स उनसे कह देते हैं कि यह टफ नहीं है और वे आराम से कर लेंगे। इसका मतलब यह जरा भी नहीं है कि ऐसा कहने से उन्हें वह काम टफ नहीं लगेगा। बेहतर होगा कि आप उनसे कहें कि आपको पता है कि काम उनके लिए थोड़ा कठिन है लेकिन जल्द ही कोई तरीका निकालेंगे और इसे र लेंगे। उस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए उन्हें थोड़ा सा पुश कीजिए इससे उन्हें काफी मदद मिलेगी।
अरे कुछ नहीं हुआ
कई बार आपका बच्चा गिर जाता है या उसको खरोंच वगैरह आ जाती है तो पैरंट्स कह देते हैं कि अरे कुछ नहीं हुआ तुम बिल्कुल ठीक हो। ऐसा आप उन्हें मजबूत बनाने के लिए कहते हैं। ऐसा न कहें क्योंकि हो सकता है कि वे अच्छा फील न कर रहे हों। जरूरी है कि वे क्या फील कर रहे हैं आप जानें। इसलिए अगर उसे चोट लगी है तो शांति से उसके पास जाएं और पूछें कि क्या वह ठीक फील कर रहे हैं।
चोट लग जाएगी
बच्चे शैतानियां करते हैं और ऐसे काम भी करते हैं जिनसे उन्हें चोट भी लगती है। कई बार माता-पिता ओवर प्रोटेक्टिव होने लगते हैं और ओवररिऐक्ट करते हैं। बात-बात पर उन्हें कहना कि चोट लग जाएगी या फलां चीज या काम सेफ नहीं है, सुनते-सुनते बच्चे अनसेफ फील करने लगते हैं। इसलिए बच्चा अगर स्लाइड पर जाना चाहता है तो उसे जाने दें लेकिन अगर गिरने का डर है तो उसे कैच करने के लिए भी मौजूद रहें। उन्हें रिस्क लेने से न रोकें।
मैं कर देता/देती हूं
कई बार होता है कि बच्चो को किसी कठिन काम में उलझे देखना मुश्किल होता है। कई बार ऐसा देखकर आप यह काम खुद करने बैठ जाते हैं। जब बच्चा ऐसे किसी काम में फंसा हो तो आप उन्हें सपोर्ट करें लेकिन खुद पूरा काम करने की गलती कभी न करें। ऐसा करने से उनका कॉन्फिडेंस कम हो जाएगा और हर समय वे आपकी या किसी और की मदद के भरोसे बैठे रहेंगे। इसलिए बच्चों को चैलेंज फेस करने दें।
न मानें हार
कोई काम नहीं हो पाएगा, यह सोचकर क्या आप बहुत जल्दी हार मानकर बैठ जाते हैं। क्या चीजें आपके मुताबिक नहीं होतीं तो आप परेशान होने लगते हैं। ध्यान रखें कि आपसे आपका बच्चा चीजों को हैंडल करना सीख रहा है। अगर वे आपको हार मानते देखेंगे तो वे भी जीवन में ऐसा ही करेंगे।