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कोरोना की वैश्विक महामारी के बाद पेश पहले बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश को भविष्य में स्वास्थ्य आपदा से निपटने के लिए तैयार करने की रूपरेखा पेश की। 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण की सिफारिश करते हुए बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन में 137 फीसद की बढ़ोतरी की गई। बढ़े हुए बजट से पूरे देश में प्राइमरी (प्राथमिक), सेकेंडरी (द्वितीयक) और टर्सियरी (तृतीयक) स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ही महामारी की पहचान और जांच के लिए अत्याधुनिक ढांचा तैयार किया जाएगा।

2021-22 के बजट के छह स्तंभों में स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखते हुए निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया कि आम लोगों को गुणवत्ता और सस्ता इलाज मुहैया कराने के लिए सिर्फ निजी क्षेत्र के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है, बल्कि सरकार इसकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार है।

पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत के नाम से योजना का ऐलान

निर्मला सीतारमण के अनुसार सरकार की कोशिश सिर्फ बीमारियों के बेहतर इलाज का ढांचा तैयार करना नहीं है, बल्कि बीमारियों को होने के पहले से रोकने के उपायों पर समान रूप से जोर दिया जाएगा। वहीं, आम जनता के स्वस्थ्य सुखी जीवन के लिए 2018 में आयुष्मान भारत योजना के तहत खोले जा रहे हेल्थ और वेलनेस सेंटर के ढांचे को भी मजबूत किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांच के निर्माण के लिए ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत’ के नाम से नई योजना का ऐलान किया। अगले छह साल में इस योजना पर 64,180 करोड़ रुपये का व्यय आएगा।

दरअसल कोरोना की महामारी ने देश में स्वास्थ्य ढांचे की कमजोरियों को उजागर कर दिया। कोरोना की टेस्टिंग से लेकर इलाज की सुविधाओं का अभाव एक भयावह तस्वीर पेश कर रह रहे थे। लॉकडाउन से लेकर युद्ध स्तर पर शुरू की गई तैयारियों की वजह से भारत अन्य देशों की तुलना में कोरोना से निपटने में बेहतर स्थिति में जरूर है, लेकिन इसने स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को तत्काल मजबूत करने की जरूरत को नकारा नहीं जा सकता है।

स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट में एकमुश्त 137 फीसद की बढ़ोतरी

जाहिर है वित्तमंत्री ने कोरोना महामारी के संदेश को सही तरीके से लिया और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट के आवंटन को 2020-21 के 94,452 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2021-22 में 2,23,846 करोड़ कर दिया। 137 फीसद बढ़ोतरी के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में बजटीय आवंटन दो फीसद से ऊपर आ गया है। ध्यान देने की बात है कि 2017 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट का 2.5 से तीन फीसद आवंटन का लक्ष्य रखा गया था और आर्थिक सर्वेक्षण में भी इसको तत्काल लागू करने की जरूरत बताई गई थी।

बजट में संक्रामक बीमारियों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए देश में सर्विलांस और टेस्ट का मजबूत ढांचा तैयार करने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत बीमारियों की टेस्टिंग, रिपोर्टिंग और मॉनीटरिंग का ब्लाक व जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई लेबोरेटरी खोले जाएंगे। ऑनलाइन पोर्टल के सहारे देश के विभिन्न भागों में हो रही बीमारियों पर नजर रखी जाएगी।

नर्सिंग व मिडवाइफ कमीशन बिल पेश करने का ऐलान

नेशनल मेडिकल कमीशन के गठन कर दशकों से व्याप्त भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को खत्म करते हुए मेडिकल शिक्षा में सुधारों की राह आसान करने के बाद सरकार ने अब नर्सिंग शिक्षा में भी सुधार करने का मन बना लिया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके लिए इसी साल नर्सिंग व मिडवाइफ कमीशन बिल पेश करने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि नए बिल से देश में नर्सों और प्रशिक्षित दाइयों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार नेशनल हेल्थकेयर प्रोफेशनल के लिए राष्ट्रीय कमीशन बनाने का विधेयक पहले ही लोकसभा में पेश कर चुकी है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में एकरूपता लाने में मदद मिलेगी।